रायगढ़:प्रकृति की गोद में बसा रायगढ़ शहर पर्यटन के नजरिए से भी बेहद खूबसूरत है. कोरोना से राहत के बाद अगर आप कहीं घूमना चाहें तो रायगढ़ शहर के बीच बसा एडवेंचर और प्राकृतिक नजारों से घिरा पहाड़ी मंदिर जा सकते हैं. शहर के बीच गजमार पहाड़ी पर बसे इस पहाड़ मंदिर में विराजमान है राम भक्त हनुमान. इस मंदिर को पहाड़ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. जो कि भक्तों की आस्था का केंद्र है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 580 सीढ़ियों की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है.
श्रद्धालुओं का कहना है कि कभी पथरीली चट्टानों से होकर भक्त मंदिर तक पहुंचते थे. लेकिन अब सीढ़ियां बनने की वजह से मंदिर तक पहुंचना आसान हो गया है. पहाड़ मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भीड़ रहती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से मार्च से ही मंदिर के पट बंद हैं. इस बीच केवल पुजारी ही मंदिर जाते हैं और पूजा के बाद वापस मंदिर बंद कर दिया जाता है. मंदिर की देखभाल और हनुमान जी की सेवा में लगे पुजारी की तीसरी पीढ़ी इस मंदिर में सेवा दे रही है.
गजमार नाम पड़ने के कई कराण
पहाड़ का नाम गजमार पड़ने के पीछे कई तरह के कारण बताए जाते हैं. लोग बताते हैं कि दूर से देखने पर पहाड़ हाथी के समान दिखाई देता है इसीलिए इसे गजमार पहाड़ी कहते हैं. इसके अलावा मंदिर में बरसों से पूजा करते आ रहे पुजारी बताते हैं कि एक समय में इस पहाड़ पर राजा चक्रधर सिंह के हाथी को रखा जाता था. जो पागल था. एक दिन ट्रेन से टकराकर उस हाथी की मौत हो गई. जिसके बाद से उसकी याद में इस पहाड़ी का नाम गजमार रखा गया. पहाड़ के इस नाम को लेकर पुजारी ने एक और कारण बताया. पुजारी ने बताया कि उनके पूर्वजों ने बताया है कि इस पहाड़ पर दैवीय शक्ति होने के कारण आकाशीय बिजली को यह पहाड़ अपनी ओर आकर्षित करता है. इसीलिए यहां पर बिजली गिरती है. लिहाजा इस पहाड़ का नाम गजमार पहाड़ पड़ गया.