रायगढ़ : जिले के भूपदेवपुर क्षेत्र में स्थित है राम झरना, जो जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर खरसिया विधानसभा में आता है. इस झरने की कहानी भगवान राम के वनवास काल से जुड़ी हुई है. लगता है जैसे झरने से गिरते पानी की आवाज त्रेता युग की कहानी बयां कर रही हो. लोग आज भी मुंह जुबानी इसे भगवान राम के अस्तित्व का प्रत्यक्ष उदाहरण बताते हैं.
राम झरना जहां बुझी थी माता सीता की प्यास राम झरना को लेकर मान्यता है कि भगवान राम को जब 14 साल का वनवास हुआ था तब उनका कुछ समय छत्तीसगढ़ में गुजरा था. उन्हीं दिनों वे रायगढ़ के इस जगह पर पहुंचे थे, इस दौरान उनकी पत्नी सीता को प्यास लगी, तब प्यास बुझाने के लिए उन्होंने धरती पर तीर चलाया था, जिससे पानी निकला और आज तक वहां से अनवरत जल की धारा निकल रही है.
रायगढ़ जिले में स्थित राम झरना लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. फुर्सत के समय में यहां लोग सहपरिवार प्रकृति का आनंद लेने पहुंचते हैं.छत्तीसगढ़ में भगवान राम के वनवास के समय बिताए गए स्थानों को जोड़ने और विकसित करने छत्तीसगढ़ शासन राम वन गमन पथ बना रही हैं. ऐसे में रायगढ़ की इस धरोहर को भी इसमे शामिल करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने प्रस्ताव रखा है.
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पक्की सड़क अब तक नहीं बनी
राम झरना के जानकार और रायगढ़ के पर्यावरण संरक्षक गोपाल अग्रवाल बताते हैं कि साल 1972 के समय इस राम झरना को सबसे पहले जीर्णोद्धार के लिए उनके पिता तत्कालीन रायगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष रामकुमार अग्रवाल ने प्रयास किया था. उसी दौरान वहां पर मुख्य मार्ग से राम झरने तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क तैयार करवाई गई थी. जो कि आज भी मौजूद है, लेकिन पक्की सड़क अब तक नहीं बन पाई है.
सुविधाओं की कमी
रायगढ़ के स्थानीय बताते हैं कि उन्होंने जब से होश संभाला हैं वे राम झरना के बारे में सुनते आ रहे हैं और वहां जाते रहे हैं. लेकिन राम झरना के विकास के लिए कभी जमीनी स्तर पर कोई भी काम नहीं किया है.अब राम वन गमन पथ में शामिल करके रायगढ़ के इस ऐतिहासिक धरोहर को नया रूप दिया जा सकता है. इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र का भी विकास होगा.
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विकास के लिए फंड की मांग
रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह का कहना है कि शासन को रायगढ़ के इस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में पत्राचार किया गया है और इसके विकास के लिए फंड भी मांगा गया है. जैसे ही इसके लिए फंड रिलीज होगा उसके बाद से इस पर्यटन स्थल में सुविधा बढ़ाने का काम किया जाएगा. बैठने के लिए कुर्सियां, पीने का पानी, शौचालय, रेस्ट हाउस और कैंटीन बनाए जाएंगे, जिससे पर्यटकों को सुविधा मिल सके.