नारायणपुर:जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान के सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. शनिवार को जिला कलेक्टर और एसपी के समक्ष पांच नक्सलियों ने सरेंडर (five naxalites surrendered) किया है. सभी आत्मसमर्पित नक्सली बस्तर डिवीजन में 2016 से 2018 के बीच भर्ती हुए थे. उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गई थी. तब से लेकर अब तक उनके डर और दबाव में काम कर रहे थे. नक्सलियों की खोखली नीति से तंग आकर उन्होंने सरेंडर किया.
पांच नक्सलियों ने किया सरेंडर
नारायणपुर पुलिस की ओर से चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान के कारण गांव में रहकर प्रतिबंधित नक्सल संगठन में शामिल मिलिशिया सदस्यों पर दबाव बढ़ रहा है. और वे शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सल संगठन का साथ छोड़ समाज के मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं. इसी कड़ी में शनिवार को पांच नक्सलियों ने जिला कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू और एसपी मोहित गर्ग के समक्ष सरेंडर किया. प्रशासन ने आत्मसमर्पित नक्सलियों को 10-10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की.सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने बताया कि वे कृषि शाखा, स्कूल शाखा, न्याय शाखा और मिलिशिया सदस्य के रूप में काम कर रहे थे. नक्सलियों की गलत नीतियों से असंतुष्ट होकर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने के उद्देश्य से उन्होंने आत्मसर्पण किया है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों में महाराजी कश्यप, जगदीश नाग, जगनाथ नाग, चैतराम कोर्राम और लच्छीन नाग शामिल है.
2016 में नक्सल संगठन में हुए थे भर्ती
जिला एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि आत्मसमर्पित नक्सली कोंडागांव जिले के बेचा गांव के निवासी हैं. पूर्व में वे गांव में ही खेती-किसानी का काम करते थे. बस्तर डिवीजन सचिव ने वर्ष 2016 से 2018 के बीच उन्हें संगठन में भर्ती किया गया था. उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गई थी. तब से लेकर अब तक उनके डर और दबाव में काम कर रहे थे. गांव के समीप कड़ेमेटा में कैंप स्थापित होन से लोगों में शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है.