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मलेरिया मुक्त बस्तर अभियानः नारायणपुर में दूसरे चरण के दौरान 1 लाख 53 हजार लोगों की हुई जांच - स्वास्थ्य विभाग नारायणपुर

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तहत नारायणपुर जिले में दूसरे चरण में करीब 1 लाख 53 हजार 205 लोगों की जांच की गई है. इनमें से 5 हजार 965 लोग मलेरिया से संक्रमित मिले, जो पहले चरण की अपेक्षा मलेरिया पॉजिटिव व्यक्तियों की संख्या से कम हैं.

Malaria-free Bastar campaign in Narayanpur
नारायणपुर में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान

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Published : Jul 31, 2020, 10:28 AM IST

नारायणपुर:जिले के दुर्गम क्षेत्र और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम नारायणपुर और ओरछा में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तहत घरों में पहुंच रही है. उबड़-खाबड़ रास्ते, नदी-नालों को पार कर वनाचंल गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंच रही है. आवागमन के साधन नहीं होने के कारण कई किलोमीटर दूर तक दुर्गम मार्ग पर पैदल चलकर गांवों के घरों और पैरामिलिट्री कैम्प में पहुंचकर लोगों के मलेरिया की जांच की जा रही है.

बारिश के समय में यह जांच और जरूरी हो जाती है, क्योंकि इसी समय मलेरिया के ज्यादातर मामले सामने आते हैं. कोरोना संकट के समय में भी स्वास्थ्य योद्धा जिले को मलेरिया मुक्त करने के काम में पूरी लगन के साथ जुटे हुए हैं. मलेरिया मुक्त अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग नारायणपुर ने पहले चरण में जिले के करीब 1 लाख 73 हजार 991 लोगों की मलेरिया जांच की है. जांच में 11 हजार 551 महिलाएं, पुरुष और बच्चे मलेरिया पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनका इलाज किया गया.

घर-घर पहुंच रहे हैं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी

5 हजार 965 लोग मलेरिया से संक्रमित

दूसरे चरण के अभियान में अब तक करीब 1 लाख 53 हजार 205 लोगों की मलेरिया जांच की गई. जिसमें से 5 हजार 965 लोग मलेरिया से संक्रमित मिले. पहले चरण की अपेक्षा द्वितीय चरण में मलेरिया पॉजिटिव व्यक्तियों की संख्या में कमी आई है. दूसरे चरण में किए गए प्रयासों के कारण ही यह कमी देखी जा रही है. बता दें कि नारायणपुर जिले को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के उद्देश्य से मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की शुरुआत की गई है.

नारायणपुर में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान

कुपोषण का एक बड़ा कारण मलेरिया

राज्य शासन की ओर से बस्तर क्षेत्र के लोगों को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान में जिले के स्वास्थ्यकर्मी सराहनीय कार्य कर रहे हैं. इस क्षेत्र में कुपोषण का एक बड़ा कारण मलेरिया है. मलेरिया संक्रमण से रक्त की कमी हो जाती है, जिससे एनीमिया हो जाता है. साथ ही मलेरिया के कारण हीमोलिसिस होने से प्रोटीन और शरीर के अन्य पोषक तत्वों का भी ह्रास होता है, जो कुपोषण का कारण बनता है. मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान ने न केवल मलेरिया से मुक्ति दिलाई, बल्कि एनीमिया, कुपोषण, शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में भी कारगर सिद्ध हो रहा है.

29 हजार 542 घरों का किया गया सर्वे

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आनंदराम गोटा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस अभियान में मलेरिया से बचाव की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस क्रम में अब तक जिले के करीब 29 हजार 542 घरों का सर्वे किया गया है. जिसमें अर्धसैनिक बलों के कैंप भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान अब तक 88 घरों में मलेरिया के लार्वा मौजूद मिले. जिन्हें मौके पर ही सर्वेक्षण दल ने नष्ट किया. दल ने मच्छरदानी देकर उसे लगाने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया.

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