मुंगेली:आज यानी गुरुवार को विश्व मधुमेह दिवस यानी कि वर्ल्ड डायबिटीज डे है. दुनियाभर में डायबिटीज से करीब 42 करोड़ लोग प्रभावित हैं. इसमें से करीब 8 करोड़ लोग भारत से हैं. भारत का छत्तीसगढ़ राज्य जिसे धान का कटोरा कहा जाता है. अब धीरे-धीरे वह अपनी पहचान डायबिटीज कैपिटल के रूप में भी बना रहा है. हालांकि इन सबके बीच जंगल और जड़ी-बुटियों के साथ खनिजों का प्रदेश छत्तीसगढ़ में डायबिटीज को मात देने का हुनर भी है. छत्तीसगढ़ में उगाये जाने वाला एक खास किस्म का धान डायबिटीज मरीजों के लिए दवा के रूप में काम करता है.
'कोदो', जी हां वहीं गेरुए रंग का यह चावल जिसका स्वाद तो कुछ खास नहीं होता, लेकिन ये मधुमेह यानी डायबटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. कोदो को डायबटीज के मरीज चावल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. किसानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की व्यवस्था तो की है, लेकिन इसके पौधों की उपलब्धता को लेकर कोई प्रयास नहीं किया है, जिसकी वजह से किसानों ने कोदो से अपना मुंह मोड़ लिया है. कभी हजारों हेक्टेयर रकबे में लगने वाला औषधीय कोदो महज कुछ किसानों के खेतों तक ही सिमटकर रह गया है.
कोदो की डिमांड बढ़ी
कोदो की फसल कम होने की वजह से मौजूदा दौर में इसे दूसरे प्रदेश से आयात कर मंगाया जा रहा है. कोदो का बाजार मूल्य लगभग 6500 रुपये प्रति क्विंटल है, जो अच्छे किस्म के चावल से भी कहीं ज्यादा है. वहीं बढ़ते शुगर के मरीजों के बीच इसकी डिमांड बढ़ने से यह धीरे-धीरे फिर से काफी डिमांडिंग हो गया है.