मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ में जैसे ही सत्ता का परिवर्तन हुआ. अच्छे-अच्छे नेताओं की धोती ढीली हो गई.क्योंकि चुनाव से पहले नेताओं के बयानबाजी ने चुनावी माहौल की आग में घी डालने का काम किया था.ऐसी ही एक जंग भरतपुर सोनहत में देखने को मिली.जहां गुलाब कमरो ने एक ओर बाहरी बनाम स्थानीय के नाम पर चुनाव लड़ा.वहीं दूसरी ओर रेणुका सिंह ने भरे मंच में बीजेपी कार्यकर्ताओं को हाथ लगाने वालों के हाथ उखाड़ लेने की धमकी तक दे डाली.यही नहीं कई मौकों पर बयानों की तीर एक दूसरे पर छोड़े गए. परिवार को लेकर भी छीटाकशी की गई. वहीं जब अब भरतपुर सोनहत की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है तो दौर है मंथन का की चूक कहां हुई. कोई इसे पुराना मिथक मान रहा है.तो कोई इसे कागजों में काम गिनाने वाले विधायक का अंजाम.वहीं किसी ने विकास को देखकर अपना मत दे दिया आईए जानते हैं ऐसे ही कुछ पहलू जो भरतपुर सोनहत विधानसभा में छाए हुए हैं.
क्यों हारी कांग्रेस ? :जितने मुंह उतनी बातें जी हां ऐसा ही कुछ इस विधानसभा में चल रहा है.यदि कांग्रेस जीतती तो दावे होते विकास नरवा गुरुवा घुरुवा बाड़ी की.अब क्योंकि हार गई है तो गलियों के राजनेता टपरी में बैठकर ज्ञान फैला रहे है. ऐसे ही कई ज्ञान की बातें हमनें भी जिसमें ये कहा जा रहा है कि विधायक महोदय 13 सौ करोड़ के विकास की बात करते थे.लेकिन पूरे विधानसभा में विकास दिखता नहीं था.ज्यादातर समय मनेंद्रगढ़ में गुजरता इसलिए लोग भरतपुर का कम और मनेंद्रगढ़ का विधायक उन्हें ज्यादा कहने लगे.जिला मुख्यालय 100 किमी दूर बना जिसका लाभ ना तो सोनहत को हुआ और ना ही चिरमिरी को.