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SPECIAL: यहां 2 किलोमीटर रोड पार करना भी किसी 'जंग' से कम नहीं

रामडाबरी गांव में रहने वाले लोगों को पिछले 70 साल से पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं. वहीं जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रखा है.

स्पेशल स्टोरी

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Published : Jul 13, 2019, 5:30 PM IST

Updated : Jul 13, 2019, 8:27 PM IST

महासमुंद: जिले के रामाडबरी गांव के लोग आजादी के 7 दशक और छत्तीसगढ़ के गठन के 18 साल बीतने के बाद भी 2 किलोमीटर पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं. कोई जरूरत हो, स्कूल जाना हो या फिर अस्पताल जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रखा है और नतीजा आपके सामने है.

स्पेशल स्टोरी

ग्राम पंचायत बंबूडीह के रामाडाबरी की आबादी लगभग 800 के आस-पास है. अनुसूचित जाति बहुमूल्य इस गांव के लोग खेती और मजदूरी करते हैं. गांव में प्राथमिक स्कूल और आंगनबाड़ी तो मौजूद है, लेकिन हाईस्कूल की पढ़ाई करने के लिए छात्र-छात्राओं को दो किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. अगर कोई बीमार हो जाए, तो अस्पताल पहुंचने के लिए हिचकोले खाने पड़ते हैं.

बरसात में कीचड़ में बदल जाती है सड़क
बरसात में तो यहां के हालत नर्क की तहर हो जाते हैं, कच्ची सड़कें कीचड़ में सन जाती हैं और इस पर चलना किसी जंग लड़ने के कम नहीं होता. शायद ही ऐसी कोई चौखट रही होगी जहां ग्रामीणों ने पक्की सड़क बनवाने की गुहार न लगाई हो, लेकिन नतीजा आपके सामने है.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन
कलेक्टर का कहना है कि मीडिया से यह जानकारी मिली है. हम जल्द ही ने वहां सड़क बनवाने की कवायद करेंगे.

कब पूरा होगा सड़क का इंतजार
रामडाबरी गांव में रहने वाले लोगों को पिछले 70 साल से अगर कुछ है तो वो इंतजार. पहले उन्हें विकास से उम्मीद थी कि वो उनके गांव में पांव जरूर रखेगा और उन्हें वक्त से उम्मीद है कि एक दिन वो बदलाव जरूर लाएगा. अब देखना यह होगा कि कब इनकी जिंदगी में बदलाव की बहार आएगी और इन बेसहारों के अच्छे दिन लाएगी.

Last Updated : Jul 13, 2019, 8:27 PM IST

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