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महासमुंद: पैसे नहीं थे तो मंदिर में कर ली शादी, समाज के ठेकेदारों ने किया बहिष्कृत

21वीं सदी में इस तरह की सामाजिक कुर्तियों का सामने आना और पीड़ित पक्ष का इंसाफ के लिए गुहार लगाना, आज भी कानून को ठेंगा दिखाने वाली बात होगी. महासमुंद में एक परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया, क्योंकि वे आर्य समाज से शादी किए हैं.

पैसे नहीं थे तो मंदिर में कर ली शादी, समाज के ठेकेदारों ने किया बहिष्कृत

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Published : Jul 13, 2019, 12:15 AM IST

महासमुंद:शासन जहां शादियों में खर्च कम करने के लिए सामूहिक विवाह को बढ़ावा दे रहा है. वहीं समाज के ठेकेदार नियमों की आड़ में लोगों को परेशान कर रहे हैं.

पैसे नहीं थे तो मंदिर में कर ली शादी, समाज के ठेकेदारों ने किया बहिष्कृत
महासमुंद में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां धोबी समाज के पदाधिकारियों ने एक गरीब परिवार को 21 हजार का अर्थदंड और समाज को भोजन कराने का तुगलकी फरमान

इसलिए सुनाया कि उसने आर्थिक तंगी के कारण अपने ही समाज की युवती के साथ सामाजिक रीति-रिवाज के बजाय आर्य समाज के मंदिर में शादी कर ली थी. पीड़ित पक्ष अब न्याय की गुहार लगा रहा है. वहीं समाज के पदाधिकारी आरोपों को निराधार बताते हुए केवल भोजन कराने की बात कह रहे हैं.

भरण-पोषण के लिए मजदूरी करता है रमेश
जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर तुमगांव नगर पंचायत के वार्ड नंबर-13 के रहने वाले रमेश निर्मलकर जो धोबी समाज से हैं. उनका लड़का नागेश्वर निर्मलकर (21 साल) है और वो पेट्रोल पंप पर काम करता है. रमेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए अपने परिवार के भरण -पोषण के लिए मजदूरी करता है. आर्थिक तंगी के कारण उसने अपने लड़के नागेश्वर की शादी अपने ही समाज की युवती से 3 दिसंबर 2018 को रायपुर के आर्य समाज के मंदिर में की थी.

समाज को मंजूर नहीं थी शादी
समाज के ठेकेदारों ने शुरू में तो कुछ नहीं बोला और 7 माह के बाद 8 जून 2019 को समाज का चपरासी रमेश के घर आया और समाज की बैठक में बुलाने की जानकारी दी. रमेश अपने बेटे नागेश्वर को लेकर सामाजिक बैठक पहुंचा, जहां कथित समाज के ठेकेदारों ने नागेश्वर की शादी सामाजिक रीति रिवाज से नहीं करने और समाज को भोजन नहीं कराने पर 21 हजार का अर्थदंड सुनाया.

समाज से निकाला
रमेश अर्थदंड पटाने और समाज को भोजन कराने में असमर्थ था. इस पर उसे समाज से निकाल दिया गया. रमेश के मिन्नतों के बाद अर्थदंड को 21 से घटाकर 16 हजार कर दिया गया.

लगाई न्याय की गुहार
पीड़ित ने मामले में अपने समाज के प्रदेश अध्यक्ष से गुहार लगाई. प्रदेश अध्यक्ष के समझाने के बाद भी समाज के पदाधिकारी नहीं माने तब पीड़ित ने पुलिस महानिदेशक से गुहार लगाई.

समाज को भोजन कराने के लिए कहा था
मीडिया ने जब धोबी समाज के अध्यक्ष गोविंद निर्मलकर से सवाल किया तो उनका कहना है कि पीड़ित पर बहिष्कृत और अर्थदंड नहीं लगाया गया है बल्कि समाज को भोजन कराने के लिए कहा गया है.

होगी कार्रवाई
मामले में एसपी का कहना है कि प्राथमिक जांच में अर्थदंड लगा हुआ है. बहिष्कृत सही पाए जाने पर समाज के 8 लोगों पर भादवि 385.34 और नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 की धारा 7 (2) के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है.

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