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गाड़ी के साइलेंसर से चुराते थे सोने से भी महंगा धातु, पुलिस ने 7 आरोपियों को किया गिरफ्तार - महासमुंद क्राइम न्यूज

छत्तीसगढ़ के महासमुंद में चोरी के 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. सभी आरोपियों पर गाड़ी के साइलेंसर से डस्ट चुराने का आरोप है. छत्तीसगढ़ में गाड़ियों के साइलेंसर चुराने का ये अनोखा और पहला मामला है. इन गाड़ियों से चोरी डस्ट की कीमत अंरतराष्ट्रीय बाजार में सोने और प्लैटिनम से भी महंगा बताया जाता है.

stealing dust from silencer of vehicles
साइलेंसर से डस्ट चुराने के आरोपी गिरफ्तार

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Published : Jun 7, 2021, 5:52 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 7:15 PM IST

महासमुंद: पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो मारुति ईको वाहन के साइलेंसर से डस्ट चोरी करते थे. पकड़े गए आरोपियों के पास से 4 लाख रुपये का डस्ट जमा किया गया है. मामला थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन साइलेंसर में जमे डस्ट की कीमत सोने से भी ज्यादा है. छत्तीसगढ़ में चोरी का ये पहला ऐसा केस है. गिरफ्तार आरोपियों में एक महासमुंद, चार रायपुर और दो भिलाई के रहने वाले हैं.

साइलेंसर से डस्ट चुराने के 7 आरोपी गिरफ्तार

दरअसल, चोर साइलेंसर में जमे डस्ट से पैलेडियम नमक एक धातु की चोरी करते थे. जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और प्लैटिनम से भी ज्यादा कीमत है. आरोपी छत्तीसगढ़ के महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, बलौदा बाजार जिले में 48 मारुति ईको वाहनों में पैलेडियम चुरा चुके हैं. आरोपी वाहन को किराये पर लेकर वारदात को अंजाम‌ देते थे.

आरोपियों के पास से 20 किलो पैलेडियम जब्त

पुलिस ने आरोपियों के पास से 20 किलोग्राम डस्ट जिससे पैलेडियम निकाला जाता है, (अनुमानित कीमत 4 लाख रुपये), दो बाइक, 7 मोबाइल फोन, 7 हजार रुपये नकद जब्त किया गया है. पुलिस के मुताबिक उन्हें मुखबिर से सूचना मिली थी कि गंजपारा का रहने वाला गोंविद सिंह राजपूत मारुती ईको वाहन को किराये पर लेता है और अपने साथियों के साथ मिलकर उसके साइलेंसर को खोलकर साइलेंसर में लगे मेटल डस्ट की चोरी करता है. पुलिस ने बताया, मुखबिर की सूचना पर जब आरोपी के बारे में पता किया गया तो आरोपी मेटल डस्ट (पैलेडियम) को एक थैले में रखकर बेचने के लिए जा रहा था. आरोपी महासमुंद बस स्टैंड के पास खड़ा था. मुखबिर के निशानदेही पर पुलिस बस स्टैंड पहुंचकर मुखबिर के बताए हुलिये के मुताबिक एक शख्स को पकड़ा जिससे पूछताछ पर उसने अपना नाम गोविंद सिंह बताया.

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48 वाहनों से मेटल डस्ट चोरी

गोविंद सिंह से थैले में रखे सामान के संबंध में पूछताछ की गई. जिसपर वो टालमटोल जवाब देने लगा. कड़ाई से पूछताछ करने पर गोविंद सिंह ने बताया कि उसके उत्तर प्रदेश से आकर कपड़ा का व्यवसाय करते हैं. वे उनके साथ सहयोग देता है. उत्तर प्रदेश से इकरार खान, मुकिम खान, फरमान खान, रिंकु उर्फ चंद्रजित यादव उसके पास फेरी लगाने कपड़ा खरीदता था. तभी से सभी से जान पहचान है. लाकडाउन में कामधंधा बंद होने से यूट्यूब के माध्यम से ईको मारुती वाहन के साइलेंसर में लगे मेटल डस्ट की कीमती के बारे में उसे पता चला. गोविंद सिंह ने बताया कि बाजार में मेटल डस्ट की कीमत 20 हजार रुपये प्रति किलोग्राम है. जानकारी मिलने के बाद उसने ये बात साथियों को बताया और पैसा कमाने के लिए योजना बनाई. योजना के तहत गोविंद सिंह पिछले एक दो महीने से महासमुंद क्षेत्र के कचहरी, टैक्सी स्टैंड, शेरगांव, जामगांव, बेमचा, ईमली भाठा, स्टेशन रोड और फिंगेश्वर, राजिम, गरियाबंद, धमतरी, बलौदा बाजार से 48 ईको मारुती वाहन को किराये पर लेकर उसके साइलेंसर से मेटल डस्ट निकाला है.

क्या है पैलेडियम ?

पैलेडियम चमकीली सफेद धातु प्लेटिनम समूह के 6 प्रकारों में से एक है. 85 फीसदी पैलेडियम का इस्तेमाल गाड़ियों की उत्सर्जन प्रणाली में होता है, जो हानिकारक तत्व को कार्बन डाइऑक्साइड और भाप में बदलत देता है. इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक, ज्वेलरी और दंत चिकित्सा में भी होता है. पैलेडियम दुनिया की सबसे कीमती धातु है. पैलेडियम दुनिया की चार सबसे महंगी धातुओं की सूची में अव्‍वल है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हमेशा इस धातु की शॉर्टेज बनी रही है. यह उतनी मात्रा में मौजूद नहीं है, जितनी इसकी मांग है.

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क्यों महंगा होता है पैलेडियम ?

पैलेडियम की कीमत तेजी से बढ़ने के पीछे इसकी बढ़ती हुई मांग है. इसकी मांग बढ़ने के पीछे सरकारों का गाड़ियों में प्रदूषण नियमों को सख्त करना माना जा रहा है. ऑटो इंडस्ट्री में इस धातु की मांग बढ़ती जा रही है. यूरोपियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (ACEA) के मुताबिक साल 2009 में पहली बार पेट्रोल गाड़ियों की बिक्री डीजल गाड़ियों के मुकाबले बढ़ गई थी और पैलेडियम पेट्रोल गाड़ियों के एक्जॉस्ट में इस्तेमाल होने वाले कैटेलिस्ट बनाने के लिए होता है. ICBC स्टैंडर्ड बैंक के डेटा के मुताबिक इस साल खदानों से निकाले जाने वाले 75 से 80 फीसदी पैलेडियम का इस्तेमाल कैटेलिस्ट कनवर्टर बनाने के लिए होगा. ये कनवर्टर कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों को वॉटर वेपर में बदल देता है.

कब हुई थी पैलेडियम की खोज ?

पैलेडियम की खोज 1803 में विलियम हाइड वोलेस्टन ने की थी. ये धातु चांदी की तरह दिखती है, लेकिन इसमें चमक प्लेटिनम की तरह होती है. पैलेडियम को करेंसी कोड भी दिए गए हैं. यह ऐसी चौथी धातु है, जिसे करेंसी कोड दिया गया है. पैलेडियम के अलावा प्लैटिनम, सोना और चांदी को भी यह कोड दिया गया है. इसे प्लैटिनम ग्रुप की 6 धातुओं के साथ रखा गया है. पैलेडियम के अलावा इस ग्रुप में रुथेनियम, रोढियम, ओसमियम, इरिडियम और प्लेटिनम खुद है. पैलेडियम का रासायनिक चिन्ह Pd है, जिसका परमाणु संख्या 46 है. इसका रासायनिक शृंखला संक्रमण धातु की है.

Last Updated : Jun 7, 2021, 7:15 PM IST

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