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इको फ्रेंड़ली दिए बना रहीं ये महिलाएं, प्रशासन ने भी पेश की मिशाल

महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश करते हुए स्व. सहायता समूह की 12 महिलाओं ने गौठान के गोबर का उपयोग कर इको फ्रेंड़ली दिए बनाकर बेचने की शुरुआत की है, जिससे इन्हें क्षेत्र भर में पहचान मिल रही है. खबर में आगे पढ़े कैसे छोटी सी शुरुआत की थी महिलाओं ने.

इको-फ्रेंडली दिए बना रहीं महिलाएं

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Published : Oct 25, 2019, 2:17 PM IST

महासमुंद : गाय के गोबर और लकड़ी के बुरादों से इको फ्रेंडली दिए बनाने वाली ग्रामीण महिलाएं जिलेभर में सुर्खियां बटोर रही हैं. महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश करते हुए कछारडी की महिलाओं ने गाय के गोबर और लकड़ी के बुरादे से इको फ्रेंडली दीया, गौरा- गौरी, गमला और झूमर जैसे सजावटी के सामान बनाकर रोजगार का नया साधन खोज लिया है.

इको फ्रेंड़ली दिए बना रहीं ये महिलाएं

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरुवा अउ बारी के तहत गांव मे बने गौठान के गोबर का उपयोग कर इन महिलाओं ने इस काम की शुरुआत की है. लोग इस पहल को गौठान के गोबर का बेहतर उपयोग बताया है.

50-50 रुपए इक्कठा कर की शुरुआत
कछारडी की गौ माता महिला स्व सहायता समूह की 12 महिलाओं ने मिलकर नरवा, घुरवा, गरुवा अउ ,बारी के तहत बने गौठान के गोबर से दिए बनाने की योजना बनाई. 12 महिलाओं ने 50-50 रुपए मिलाकर यह काम शुरू किया. सबसे पहले इन्होंने 3000 दीये बनाए.

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प्रशासनिक अधिकारीयों ने दिखाई मानवता
जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने समूह के बनाए दियों को हाथो-हाथ लिया. अपने घरों में इस बार महिला समूह के बनाए गए इन दीयो से रोशन करेंगे. महिला समूह ने जो शुरुआत के तौर पर 3000 दिये बनाए थे, उसे सबसे पहले कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों को जिला कलेक्टर कार्यालय में बेच दिया. अधिकारियों ने इन दियो को लेकर एक तरह की मिशाल कायम की है. और लोगों के बीच एक अलग संदेश भी जा रहा है, जिससे लोगों में इको-फ्रेंडली दिए को खरीदने की ललक बढ़ गई है.

बे-मौसम बारिश बनी हुई है आफत
महिलाओं ने बताया कि दीये के साथ गौरा-गौरी, गणेश, धूपबत्ती स्टैंड आदि बनाकर बेच रहे हैं. इन सामानों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि इसकी पूर्ति नहीं कर पा रही हैं. महिलाओं का कहना है कि बेमौसम बारिश के कारण दिए सुख ही नहीं पा रहे हैं फिर भी ज्यादा से ज्यादा सामान बनाने की कोशिश में लगी हैं.

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