महासमुंद: शासन की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंध कार्यक्रम ने महासमुंद जिले के हजारों लोगों की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदल कर रख दी है. कभी भोजन पकाने के लिए जंगलों में भटकने वाले ग्रामीण और जैविक खाद के लिए दर-दर भटकने वाले किसान अब बायोगैस संयंत्र लगाकर दोगुना लाभ उठा रहे हैं.
मवेशियों के गोबर से उन्हें खाना पकाने के लिए गैस के साथ खाद भी आसानी से उपलब्ध हो जा रही है, जिसके लिए हितग्राही अब शासन को धन्यवाद देते हुए औरों को बायोगैस संयंत्र लगाने की सलाह दे रहे हैं.
2001 में राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम की हुई थी शुरुआत
महासमुंद जिले में साल 2001 में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम की शुरुआत हुई तब से लेकर आज तक 19 सालों में नौ हजार हितग्राही इस योजना का लाभ उठाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.
साल 2018-19 में जिले को शासन से 200 हितग्राहियों को बायोगैस संयंत्र का लाभ देने का लक्ष्य प्राप्त हुआ था और 146 हितग्राहियों को इसका लाभ दिया गया. ग्राम लोहारी और कोसरंगी के हितग्राहियों के पास मवेशी तो थे पर उनके गोबर का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे.
कई हितग्राही ले रहे लाभ
उन्हीं में से एक हैं ग्राम लोहारडी के यादराम और ग्राम कोसरंगी के कोमल आचार्य यादराम जिनके पास आठ मवेशी थे और आचार्य के पास 230 मवेशी दोनों को जब राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम की जानकारी हुई तो दोनों ने क्रेडा के कार्यालय जाकर आवेदन किया.