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Special: इंग्लिश मीडियम के सपने कैसे साकार होंगे 'सरकार' - पढ़ाई तुंहर दुआर

भूपेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स महासमुंद में दम तोड़ती नजर आ रही है. सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स के तहत प्रदेश में इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए हैं, ताकि गरीब तबके के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कर सकें, लेकिन इन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स को पलीता लगाते नजर आ रहा है. देखिये महासमुंद से इंग्लिश मीडियम स्कूल की बदहाली पर विशेष रिपोर्ट...

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इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षकों की कमी

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Published : Sep 13, 2020, 9:56 PM IST

महासमुंद:छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा के शिक्षा के क्षेत्र में नई-नई पहल कर रही है. इसी पहल को दो कदम और आगे बढ़ते हुए भूपेश सरकार ने प्रदेश में इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने का फैसला लिया है. कई जिलों में इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले भी गए हैं. कई जिलों और स्कूल खोले जाने हैं, लेकिन भूपेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स पर पहले चरण में ही सवाल उठने लगे हैं. बताया जा रहा है कि कई जिले में इंग्लिश मीडियम स्कूल तो खोल दिए गए हैं, लेकिन वहां शिक्षक ही नहीं हैं. जिसके कारण स्कूल खुलने के वाद भी कई विषयों की पढ़ाई नहीं हो रही है, जिससे बच्चे आगे बढ़ने के वजाय और पीछे होते चले जा रहे हैं.

इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षकों की कमी

बात महासमुंद की करें तो, यहां एक इंग्लिश मीडियम स्कूल है, जहां पहली कक्षा से 12वीं तक कक्षा तक की पढ़ाई होती है. बताया जाता है, पहले चरण में इंग्लिश मीडियम में पढ़े हुए शिक्षकों की काउंसलिंग कर उन्हें इस स्कूल में पदस्थापित किया गया था. सभी प्रक्रिया पूरी होने का बाद बच्चों ने इस स्कूल में एडमिशन भी लिया. यहां के शिक्षक बताते हैं, इस स्कूल में दूर-दूर से बच्चे पढ़ने आते हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई में थोड़ी परेशानी आ रही है.

403 बच्चों पर 6 शिक्षक

आंकड़े बताते हैं, स्कूल में 403 बच्चों ने एडमिशन कराया है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्राचार्य के साथ 6 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. इसमें एक प्राइमरी, एक मिडिल और हाई स्कूल और हायर सेकंडरी के लिए शिक्षकों की नियुक्ति हुई है. जबकि सरकारी नियम के मुताबिक स्कूल में 28 शिक्षक होने चाहिए. इसके अलावा प्राइमरी, मिडिल और हाईस्कूल के लिए अलग-अलग प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ होने चाहिए.

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नहीं हो रही सभी विषय की पढ़ाई

इधर, बच्चों का कहना है कि शिक्षकों की कमी के कारण कुछ विषयों की पढ़ाई नहीं हो रही है. जिसके कारण वे इन विषयों में पिछड़ते जा रहे हैं. वहीं अभिभावकों ने भी इसपर चिंता जताई है. अभिभावकों का कहना है कि वे निजी स्कूलों में ज्यादा फीस होने के कारण सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल में अपने बच्चों के एडमिशन कराये थे, लेकिन वहां भी शिक्षकों की कमी होने के उनके बच्चों की पढ़ाई सही से नहीं हो रही है.

हवा-हवाई है सरकार की घोषणा?

इधर, बीजेपी राज्य सरकार पर आरोप लगा रही है कि कांग्रेस सरकार सिर्फ घोषणाएं कर रही है, लेकिन धरातल पर इन घोषणाओं का क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. बीजेपी का आरोप है कि सरकार ने स्कूल तो खोल दिए हैं, लेकिन इन स्कूलों के लिए अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. जिससे बच्चों का भविष्य एक बार फिर अंधकार में जा रहा है.

बीजेपी सरकार कागजों पर करती रही काम

बीजेपी के आरोप पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि कांग्रेस सरकार की सभी योजनाएं धरातल पर है और सबका अच्छे से क्रियान्वयन हो रहा है. कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार बीजेपी सरकार की तरह सिर्फ कागजों पर नहीं चलती है. कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में 15 साल तक बीजेपी सरकार ने सभी योजनाओं को सिर्फ कागजों पर ही चलाया है.

SPECIAL: ऑनलाइन एजुकेशन के लिए नहीं है स्मार्ट फोन, पेड़ के नीचे लग रही क्लास

40 बच्चों पर एक छात्र

क्लास संख्या
1 40
2 36
3 29
4 40
5 40
6 40
7 36
8 30
9 40
10 22
11 40

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