महासमुंद : छत्तीसगढ़ में किसान अब एडवांस खेती की ओर रुख कर रहे हैं. एडवांस किसानी के लिए महासमुंद के किसान काली मिर्च, धान की वैरायटी, पपीता, एप्पल बेर, मौसंबी, अदरक, जिमीकांदा, कोचई जैसी फसल उन्नत खेती के कड़ी में शामिल है, जिससे किसान काम करके अच्छी कमाई कर सकता है. महासमुंद के केशवा गांव के किसान मोहन चंद्राकर बताते हैं कि एडवांस खेती में काम कर रहे हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है. यदि इनकी संख्या बढ़ेगी तभी एडवांस खेती के फायदे सभी किसानों को मिलेगा.
उन्होंने बताया कि 10 से 12 एकड़ जमीन में सामान्य धान लगाते हैं और बाकी खेत में 1 से 2 एकड़ के बीच में समा मसूरी, जिंक राइस और सेंटेड राइस जवा फुल लगाते हैं. इन दोनों को वह एक-दो साल स्टोर कर अच्छे रेट में बेचते हैं. वे बताते है कि कुछ साल पहले वो ब्लैक राइस का भी उत्पादन किया करते थे, जिसका उन्हें अच्छा मार्केट मिला और वो परमानेंट कस्टमर भी बने गए थे. मोहन बताते है कि बाजारों में 110 से 120 रुपए में चावल बेच लेते हैं. वहीं ऑनलाइन मार्केट में 400 रुपए किलो के दर से भी रैप कर अपने बाजार में अच्छे रेट में बेचते हैं.
जमीन का एक-एक इंच यूज करें
एडवांस खेती का प्रयोग जरूरी नहीं कि बड़े किसान या ज्यादा एकड़ वाले किसान ही करें. एडवांस खेती का मतलब ही यही होता है कि लोग छोटे-छोटे रकबे में किसान कई फसलों की खेती करें. एडवांस खेती का मतलब ही यही होता है कि लोग छोटे-छोटे रकबे का समहू में मिलकर कार्य करें. सभी किसान अपने कुछ रकबों में एक जैसी खेती कर बड़े स्तर में उस फसल का प्रोडक्शन कर सकते हैं, जिससे बाद में वह फसल का रॉ मटेरियल से लेकर मार्केटिंग तक आसानी से कर सकते हैं.
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अलग-अलग शहर में ट्रांस्पोर्ट हो रहा धान
बता दें कि सामा मसूरी डाइबिटीज पेशेंट के लिए फायदेमंद साबित होता है. वहीं जिंक राइस इम्युनिटी सिस्टम को ठीक रखता है. कोरोना काल में जिंक राइस रामबाण का काम करेगा, जिसकी मांग लगातार बढ़ रही है. जिसे देखते हुए किसान जिंक राइस की खेती की शुरूआत की है. उन्होंने बताया कि सेंटर्ड राइस जवा फूल भी बोया है. धान की मिलिंग वह अपने गांव के ही छोटे मिलर्स में कराते हैं. पिछले 3 साल से वह रायपुर, अहमदाबाद, ओडिशा, वाराणसी, दिल्ली इन जगहों में लगातार सप्लाई कर रहा है.