महासमुंदः कहते हैं कि अगर हौसला हो तो कोई भी कमज़ोरी रुकावट नहीं बन सकती. हौसले और जज़्बे के दम पर इंसान अपनी कमज़ोरी को भी अपनी ताकत बना लेता है, फिर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होता. कुछ ऐसे ही जज़्बे की पहचान दी है खट्टी गांव के युवक दिव्या तोरण ने.
तोरण 40 प्रतिशत दिव्यांग है उसका एक पैर ठीक से काम नहीं करता. लेकिन दिव्यांगता को कभी उसने अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया. तोरण इस वर्ष चौथे वर्ल्ड योग फेस्टिवल एंड चैंपियनशिप में इंडिया को रिप्रेज़ेंट करने जा रहा है. इस प्रतियोगिता का आयोजन बुल्गारिया, यूरोप में होगा जहां तोरण भारत का प्रतिनिधित्व करेगा.