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जब सिस्टम ने नहीं सुनी गुहार, ग्रामीणों ने खुद ही कर लिया सड़क का 'जुगाड़' - लापरवाह प्रशासन

मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत के बौरीड़ांड के ग्रामीण कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से अपने गांव में पक्की सड़क बनाने की मांग कर चुके हैं. जब प्रशासन ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो ग्रामीणों ने खुद सड़क बना डाली.

Villagers of Manendragarh upset for road in koriya
ग्रामीणों ने खुद बना डाली सड़क

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Published : Jan 28, 2020, 11:58 PM IST

कोरिया:मनेंद्रगढ़ पंचायत के बौरीडांड गांव के ग्रामीणों ने प्रशासन को आईना दिखाने का काम किया है. दरअसल कई बार गांव में सड़क निर्माण की मांग गांववालों की तरफ से की गई बावजूद इसके प्रशासन ने सड़क निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया. जिला प्रशासन के उदासीन रवैये को देखने के बाद ग्रामीणों ने मिलकर फैसला किया कि वे अपनी जमीन पर खुद ही श्रमदान कर जैसे-तैसे कम लागत में कच्ची सड़क का निर्माण करेंगे.

ग्रामीणों ने सिस्टम को दिखाया आईना

हम आपको बता दे कि आजादी के 70 सालों बाद भी बौरीडांड गांव में सड़क नहीं बनी थी. मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत के बौरीडांड के ग्रामीणों ने सड़क निर्माण कर सिस्टम के गाल पर तमाचा जड़ दिया.

बारिश में सड़क होती है बदहाल
यह जर्जर सड़क वार्ड क्रमांक 2 से बौरीडांड की मुख्य सड़क को जोड़ती है. जहां ग्रामीणों के प्रयास से अब सड़क चलने लायक तो हो गई है. लेकिन बरसात का मौसम आते-आते यह कच्ची सड़क फिर नाले में तबदील हो जाती है.

ग्रामीणों ने मेहनत से तैयार की कच्ची सड़क
ग्रामीणों का कहना है कि लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जनदर्शन में गुहार लगाने के बाद भी जब सड़क नहीं बनाई गई तो, ग्रामीणों ने मिलकर अपनी जमीन पर सड़क के लिए श्रमदान कर मिट्टी भराई की और आवागमन बहाल कर दिया. बरसात के दिनों में यहां बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं जिससे चारपहिया वाहन तो दूर, दोपहिया वाहन भी निकलना मुश्किल होता है.

यह सड़क मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए एकमात्र सड़क है. जिसके जर्जर हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है. ऐसे में इसे खुद से ही बना कर आवागमन बहाल करना पड़ता है.

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कैमरे से बचते दिखे अधिकारी
जब गांववालों की इस समस्या पर ETV भारत की टीम ने अफसरों से बात करनी चाही तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. जनता के टैक्स से जिन अफसरों को तन्ख्वाह से लेकर तामाम सुख सुविधाएं मिलती हैं. वो आवाम को बदले में उनकी बुनियादी जरूरतें मुहैया नहीं करवा पा रहे हैं.

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