कोरिया:प्रदेश के इकलौते मनेन्द्रगढ़ नेत्रहीन विद्यालय (Manendragarh Blind School children) के छात्र रोजाना 3 से 4 किलोमीटर का सफर स्टिक के सहारे तय कर स्कूल पहुंचकर पढ़ रहे हैं. बिना किसी सहारे के यहां के 2 दर्जन से अधिक छात्र भीड़-भाड़ वाले सड़कों से होते हुए अपने-अपने स्कूल कॉलेज पहुंचते हैं फिर वहां अध्ययन कर वापस आते हैं, जब ये छात्र सड़कों से गुजरते है तो लोग हैरान रह जाते हैं.
हर दिन करते हैं कठिनाइयों का सामना
हर दिन आने-जाने के दौरान इन छात्रों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ती गाड़ियों के बीच ये छात्र स्कूल-कॉलेज पहुंचते हैं. तेज गर्मी की चुभन और बरसात में भीगने का डर सताता है. ऐसे में इन छात्रों की मांग है कि उन्हें बस की सुविधा मिल जाती तो इनके स्कूल-कॉलेज पहुंचने की डगर आसान हो जाती.
बता दें कि नेत्रहीन विद्यालय के ये बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद व धार्मिक गतिविधियों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है. विद्यालय में हर शनिवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का ये बच्चे पाठ करते है. खुद से ही ये बच्चे हारमोनियम, तबला, झांझ और वाद्ययंत्रों को बजाकर लयबद्ध तरीके से ये हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पढ़ते है. नेत्रहीन होने के बावजूद ये बच्चे आउटडोर और इनडोर गेम खेलते है.