कोरिया: गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक रामाकृष्णन ने बताया कि "मांसाहारी जानवरों के भोजन के लिए शाकाहरी जानवरों को पार्क में लाने का सिलसिला जारी है. 20 चीतल और 15 नीलगाय आ चुकी हैं. पार्क में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. यहां उनके लिए अच्छा माहौल है. जिसके कारण दूसरे राज्य से बाघ यहां आ रहे है. अब तक 6 बाघ है. सभी पर विभाग निगरानी बनाए हुए है. बीते दो महीने में 3 लोगों की मौते तेंदुए के हमले से जबकि एक की मौत बाघ के हमले में हुई है. जिसे लेकर वन विभाग सक्रिय हो गया है."
उन्होंने कहा कि "मनेन्द्रगढ़ वनमंडल के कोरिया वनमंडल में इंसान के रहवास क्षेत्रों में बाघ का विचरण चिंतनीय होता जा रहा है. जिसे लेकर गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक की पहल राज्य के वन विभाग के अधिकारी के निर्देश पर शाकाहारी जानवरों को लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, ताकि मांसाहारी जानवर इंसानों की और अपना रूख ना कर सके. दो दिन पहले नंदनवन से 20 चीतल और कानन पेंडारी से 15 नीलगाय लाई गई है. शुरुआती तौर पर दोनों को अभी एक बाड़े में रखा गया है. कुछ दिन बाद जब वे वातावरण के अनुसार खुद को एडजेस्ट कर लेगें तो उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा."
भूखे होने के कारण हमला:पार्क के डायरेक्टर रामाकृष्णन की मानें तो जिस बाघ ने एक व्यक्ति की जान ली. उसने तीन बार जानवर को मारने की कोशिश की. तीनों बार ग्रामीणों की शोर गुल के कारण उसके हाथ से शिकार दूर हो गया और बाघ तीन दिन से भूखा था. वहीं जिस व्यक्ति पर बाघ ने हमला किया वो बैठ कर मछली पकड़ रहा था. जिसके कारण बाघ ने पीछे से हमला कर उसे अपना शिकार बनाया. इंसान खड़ा रहता तो बाघ हमला नहीं करता.