कोरिया: विकासखण्ड भरतपुर के मोहनटोला ग्राम निवासी 90 वर्षीय वृद्ध महिला रैमन्ती सिंह पति स्व० बबन सिंह को सरकार की ओर से दिये जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. उनके पति की मौत सालों पहले हो चुकी है. जबकि वृद्ध महिला धुर ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. पेंशन न मिल पाने से हताश बयोवृद्ध महिला बताती हैं कि राजा के शासनकाल के अपने जीवनकाल में वे कई बार भीषण अकाल का सामना कर चुकी हैं. अकाल के बेहद विकट स्थिति में भोजन के रूप में पेड़ के पत्ते, प्राकृतिक रूप से उगने वाली भाजी, जंगल के वनोपज को खाकर वे जिंदा रहती थीं. आगे वह बताती हैं कि आज के जैसा अच्छा व पर्याप्त भोजन पहले उपलब्ध नहीं होता था. वहीं अपनी फटेहाल जिंदगी के बारे में बताते हुए उनकी आंखों से आंसु की धार बहने लग गई.
याददाश्त कमजोर, पर सुनाने लगीं कहानी
90 वर्ष की हो जाने के कारण रैमन्ती की याददाश्त अब काफी कमजोर हो चुकी है. रैमन्ती कई दशक पूर्व की सत्य घटना का उल्लेख करते हुए बताती हैं कि चांगभखार रियासत के राजा महावीर सिंह का दशरथगज नाम का एक हाथी था. वह भयानक नुकीले व बड़े-बड़े दांतों वाला था. दशरथगज हाथी के पागल हो जाने से उस समय पूरे क्षेत्र के लोग किस कदर दहशत में रहे, उसकी सहज कहानी भी वे सुनाने लगीं. कहानी सुनाते-सुनाते उनकी आंखें भर आईं.