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World Bicycle Day: कटघोरा के खिलाड़ियों ने साइकिलिंग में मनवाया लोहा, उपेक्षा के बीच जीते राष्ट्रीय पदक

तीन जून यानि आज विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है (World Bicycle Day). छत्तीसगढ़ के कटघोरा को साइकिलिंग का हब माना जाता है. यहां के खिलाड़ियों ने नेशनल लेवल पर कई पदक जीते हैं. लेकिन महंगी साइकिल और संसाधनों के अभाव में बच्चे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.

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Published : Jun 3, 2021, 1:02 AM IST

World Bicycle Day 2021
World Bicycle Day 2021

कोरबा: साइकिलिंग का सेहत से मजबूत संबंध है, यदि आप नियमित तौर पर साइकिलिंग करते हैं तो निश्चित तौर पर बीमारियों से दूर रह सकते हैं. साइकिल एक लोकप्रिय खेल भी है. साइकिल की विशेषता और बहुमुखी प्रतिभा को पहचानने के लिए 3 जून को अंतर्राष्ट्रीय विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है (World Bicycle Day). कटघोरा में मौजूद राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी साइकिल को सेहत का दोस्त बताते हैं. इसके साथ ही वे कहते हैं छत्तीसगढ़ में कटघोरा साइकिलिंग का हब है. बावजूद इसके उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पा रही है, महंगी साइकिल और संसाधनों के अभाव में लोग आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.

विश्व साइकिल दिवस

कटघोरा और आसपास के गांव जिनमें बांगो, तुमान, बिंझरा जैसे इलाके शामिल हैं. यहां के बच्चे साइकिलिंग के खेल में महारथ रखते हैं. उनके पास महंगी साइकिल नहीं है. लेकिन बावजूद इसके वह राज्य भर के मंझे हुए खिलाड़ियों को वर्षों से धूल चटाते आ रहे हैं. राज्य स्तर की प्रतियोगिता में कटघोरा के खिलाड़ियों का दबदबा होता है. फिर चाहे वह स्कूल गेम्स हों या फिर कॉलेज स्तर की प्रतियोगिताएं. साइकिलिंग के खेल में कटघोरा का यह ग्रुप हर साल पदक लेकर आता है.

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पहाड़ों और घाटों में साइकिलिंग का अनुभव

कटघोरा क्षेत्र के स्पोर्ट्स टीचर विशाल दुबे कहते हैं कि कटघोरा क्षेत्र और आसपास का इलाता घाटों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. हसदेव नदी के किनारे बसे बांगो सहित आसपास के इलाके घाटियां जैसी है. बच्चों को घाटियों में साइकिल चलाने का अनुभव है. जिसके कारण वह संसाधनों के अभाव में भी बाकी खिलाड़ियों पर भारी पड़ते हैं. बावजूद इसके इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अच्छी कोचिंग, डाइट और महंगी साइकिल नहीं होने के कारण बच्चे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पिछड़ जाते हैं. जबकि राज्य स्तर की प्रतियोगिता में वह हर साल मैडल जितने में कामयाब रहते हैं. कटघोरा में यदि एक उच्च स्तरीय कोच और साइकिल की एकेडमी सरकार खोल दें, तो बच्चे ना सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन करने की क्षमता रखते हैं.

एक साइकिल की कीमत 3 से 4 लाख रुपये

राष्ट्रीय साइकलिस्ट नेहा कहती हैं कि कार्बन, ग्रेफाइट या एलॉय से बनी अच्छी साइकिल 3 से 4 लाख रुपये में आती है. हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि महंगी साइकिल खरीद सकें. इसके अलावा डाइट पर प्रतिदिन 500 रुपये का खर्च आता है. इन सब के अभाव में बच्चे काबिलियत होने के बाद भी पिछड़ जाते हैं. साइकिलिंग में 50% साइकिल का खेल होता है. यदि अच्छी साइकिल नहीं है तो खिलाड़ी काबिल होते हुए भी रेस हार जाता है.

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एकेडमी और संसाधन की मांग

नेहा ने बताया कि कटघोरा में संसाधनों के अभाव में भी खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करते हैं. हमारा ग्रुप लगभग 20 लोगों का है. हम सभी राज्य स्तर की प्रतियोगिता में पदक जीत चुके हैं. कुछ राष्ट्रीय खिलाड़ी भी है. गौतम दुबे कहते हैं कि मैं खुद 5 बार राज्य स्तर के मेडल जीत चुका हूं. पिछले 5 से 7 साल से मैं बच्चों को भी तैयार कर रहा हूं. लेकिन बात जब संसाधनों पर आती है. तब हम पिछड़ जाते हैं. एकेडमी के साथ ही हमें संसाधनों की जरूरत है. ताकि बच्चों की मेहनत को निखारने के साथ ही उन्हें बेहतर से बेहतर प्लेटफॉर्म दिया जा सके.

विश्व साइकिल दिवस का इतिहास

तीन जून यानि आज विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. पहली बार विश्व साइकिल दिवस तीन जून, 2018 (रविवार) को संयुक्त राष्ट्र महासभा में मनाया गया. साइकिल अपनी विशिष्टता, दीर्घायु और बहुमुखी प्रतिभा के कारण पिछली दो शताब्दियों से उपयोग में है. इसके अलावा यह परिवहन का एक सरल, सस्ता, विश्वसनीय, स्वच्छ और पर्यावरणीय रूप से स्थाई साधन है. यह पर्यावरण की प्रतिष्ठा और स्वास्थ को बढ़ावा देता है.

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