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कोरबा: मानिकपुर खदान में ठेका कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों ने खोला मोर्चा

मानिकपुर खदान में नियोजित ठेका कंपनी एनएसपीएल के खिलाफ ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन करते हुए उत्पादन और डिस्पैच को पूरी तरह प्रभावित कर दिया. ठेका कंपनी के अधिकारियों से ग्रामीण की वार्ता हुई. ग्रामीणों के रोजगार की मांग पर उनकी योग्यता के अनुरूप कार्य पर प्राथमिकता देने की बात कही गई है.

Villagers protest against contract company
ठेका कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों ने खोला मोर्चा

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Published : Sep 20, 2020, 5:14 AM IST

कोरबा: मानिकपुर खदान से प्रभावित आसपास के गांव के ग्रामीणों ने खदान पहुंचकर खदान में नियोजित ठेका कंपनी एनएसपीएल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. 18 सितंबर को एकाएक धरना देने पहुंचे ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन करते हुए उत्पादन और डिस्पैच को पूरी तरह प्रभावित कर दिया था. लेकिन समझाने के बाद सभी वापस लौट गए थे. जिसके बाद 19 सितंबर शनिवार को दोबारा बड़ी संख्या में गांव की महिलाएं और पुरुष कंपनी में रोजगार और अन्य मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने पहुंचे. ग्रामीणों ने निजी कंपनी का काम भी बंद करवा दिया. जिससे ओबी प्रोडक्शन के साथ ही परिवहन भी बाधित रहा.

ठेका कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों ने खोला मोर्चा

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मानिकपुर खदान में धरना प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों ने कहा कि खदान से कोई शिकायत नहीं है. लेकिन यहां नियोजित निजी ठेका कंपनी स्थानीय लोगों को रोजगार देने में प्राथमिकता की जगह बाहरी लोगों को काम दे रही है. उनके गांव से जिन लोगों को काम पर रखा भी गया है उनको बैठा दिया जाता है. इसके अलावा कई अन्य तरह की समस्याएं भी है. स्थानीय लोगों की समस्या की अनदेखी कर उपेक्षा की जा रही है. इसलिए उन्हें आंदोलन करना पड़ रहा है.

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ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े हुए थे. प्रबंधन और पुलिस की समझाइश के बाद भी नहीं मान रहे थे. ऐसे में आंदोलन देर शाम तक चलता रहा. ग्रामीण ठेका कंपनी के अधिकारी से चर्चा की मांग कर रहे थे. देर शाम मौके पर तहसीलदार, कोरबा एसपी राहुल देव शर्मा, टीआई दुर्गेश शर्मा, मानिकपुर चौकी प्रभारी अशोक पांडे दल बल के साथ मौके पर पहुंचे चुके थे. जिसके बाद प्रबंधन ठेका कंपनी के अधिकारियों से ग्रामीण की वार्ता हुई. इसमें ग्रामीणों के रोजगार की मांग पर उनकी योग्यता के अनुरूप कार्य पर प्राथमिकता देने की बात कही गई है. इसके अलावा अन्य समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया गया है. इसके बाद ग्रामीण शांत हुए और आंदोलन खत्म हुआ.

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