कोरबा:कोरबा समेत पूरे छत्तीसगढ़ में बेमौसम बारिश किसानों के लिए आफत बनकर आई है. बात अगर कोरबा की करें तो बारिश ने आजीविका के लिए सब्जी की खेती पर निर्भर किसानों की कमर ही तोड़कर रख दी. कोरबा मुख्यालय से सटे ग्राम पंडरीपानी, बेंदरकोना, करमंदी, कुरूडीह और भालूसटका सहित करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों में सब्जी की खेती ही किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है. भारी बारिश से तबाही का आलम यह है कि अकेले करतला विकासखंड के करीब एक दर्जन गांव की लगभग 25 हेक्टेयर में लगी भाजी की फसल बर्बाद हो गई. इतना ही नहीं गोभी और बैंगन को भी बीमारी ने डुबोकर रख दिया. इससे अन्नदाताओं के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. किसान सरकारी मदद की राह तक रहे हैं. हालांकि प्रशासन ने मदद की घोषणा की है, लेकिन क्षतिपूर्ति का आकलन करने को पटवारी अब तक किसानों के पास नहीं पहुंच पाए हैं.
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कुछ महीने पहले हुई बारिश का भी नहीं हुआ था सर्वे
बढ़ते संक्रमण के कारण जिले के शीर्ष अधिकारी संक्रमित होने से होम क्वारंटाइन में हैं. हालांकि बीते 1 हफ्ते में परिस्थितियां कुछ सामान्य जरूर हुई है, लेकिन अब भी काम अटके हुए हैं. नुकसान का आकलन शुरू करने कुछ अधिकारी मौके पर गए थे, लेकिन सरकारी दावे केवल कागजों तक ही सिमट कर रह जाते हैं. कुछ किसानों के खेतों में अधिकारी पहुंचे और फोटो खिंचवाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली. जबकि बड़े पैमाने पर किसान अब भी सर्वे का इंतजार कर रहे हैं ताकि उन्हें नुकसानी के एवज में कुछ क्षतिपूर्ति मिल सके.
मौसम विभाग ने पखवाड़े भर पहले भी बारिश होने की संभावना व्यक्त की थी. जिसके अनुसार 29 और 30 दिसंबर को बारिश हुई थी. पिछले 3 दिनों में भी लगातार बारिश हुई है. इसके पहले फसल कटाई के दौरान नवंबर महीने में पांच दिनों तक बारिश जारी रही. जिसमें करतला विकासखंड के नवापारा, अमलडीहा के किसाननों की फसल पानी में डूब गयी थी. फसल नुकसानी के आकलन के लिए जिला प्रशासन ने पटवारियों को निर्देशित किया था. आकलन रिपोर्ट को प्रशासन की ओर से सार्वजनिक नहीं किया है. जिन किसानों का नुकसान हुआ उन्हे अभी तक राहत नहीं मिली है.
गोभी और करेले की फसल हो गई बर्बाद अब मवेशियों को खिला रहे
जिला मुख्यालय लगे ग्राम पंडरीपानी, बेंदरकोना, करमंदी, कुरूडीह, भालूसटका सहित आधा दर्जन से भी अधिक गांवों में व्यवसायिक पैमाने पर सब्जी की खेती होती है. ग्राम पंडरीपानी की महिला किसान धनकुंवर ने बताया की गोभी के पत्ते पीले पड़कर झड़ चुके हैं. पिछले दिनों से हुई बारिश और मौसमी उतार चढ़ाव के कारण एकड़ भर में लगे फूल गोभी और करेले के फसल को नुकसान हुआ है. फूल गोभी के अलावा उसके पत्तों को भाजी सब्जी रूप में बिक्री कर लाभ मिल जाता था, जो अब नहीं मिलेगा. फूलगोभी करेला और अन्य सब्जियों की फसल लगभग पूरी तरह से चौपट हो चुकी है. कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. अब इन खराब सब्जियों को मवेशियों को खिला रहे हैं. इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं बचा है.
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