कोरबा: सिविल जज के लिए चयनित आदिवासी छात्रा को 15 दिन भटकने के बाद जाति प्रमाण पत्र मिला है. संवरा जनजाति वर्ग से आने वाली एक होनहार आदिवासी बेटी को सिस्टम की बेरुखी ने हताश कर दिया था, लेकिन मीडियाकर्मियों की मदद के बाद आखिरकार 5 नवंबर की शाम एसडीएम ने छात्रा को स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी किया.
सिविल जज के लिए चयनित आदिवासी बेटी को मिला जाति प्रमाण पत्र संगीता मरावी का चयन सिविल जज के लिए हुआ है. 30 अक्टूबर को ही उसे इंटरव्यू में शामिल होना था. स्थाई जाति प्रमाण पत्र ना होने के कारण छात्रा इंटरव्यू से वंचित रह गई. छात्रा को एक और मौका देते हुए 6 नवंबर को स्थाई जाति प्रमाण पत्र के साथ उपस्थित होने को कहा गया था, लेकिन 1 दिन पहले तक अभ्यर्थी संगीता को उसके दस्तावेज हासिल नहीं हो पाए. इसकी खबर जैसे ही स्थानीय मीडिया को मिली, सभी पत्रकार होनहार आदिवासी छात्रा की मदद को आगे आए.
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मीडिया के लोगों ने फौरन राजस्व के अधिकारियों से संपर्क करते हुए साक्षात्कार के पहले ही दस्तावेज बनाए जाने की मांग रखी थी. अधिकारियों ने भी तत्परता दिखाते हुए संबंधित दस्तावेज और कागजों का सत्यापन कर पाली तहसील से कटघोरा अनुभाग के तहसील में भेजा. गुरुवार को संगीता के सभी जरूरी दस्तावेज कटघोरा तहसील से जारी कर दिए गए. जरूरी दस्तावेज पाकर संगीता भी काफी खुश हैं. उन्होंने सहयोग के लिए सभी मीडियाकर्मियों का आभार व्यक्त किया है. साथ ही राजस्व विभाग के अफसरों को भी धन्यवाद दिया है.
कलेक्टर के सामने भी छात्रा ने रखी थी समस्या
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा परीक्षा में संवरा अनुसूचित जनजाति वर्ग की होनहार संगीता का चयन हुआ है. उसे बीते 30 अक्टूबर को रायपुर जाकर इंटरव्यू देना था, लेकिन उसके पास अस्थाई जाति प्रमाण पत्र था. इसे स्थाई करने के लिए संगीता अपने अधिवक्ता भाई द्वारिका मरावी और पिता रामभरोस के साथ 15 दिनों से लगातार एसडीएम कार्यालय के चक्कर काट रही थी, लेकिन कटघोरा एसडीएम अभिषेक शर्मा (प्रशिक्षु आईएएस) किसी काम में काफी व्यस्त चल रहे थे. जिसके कारण संगीता का स्थाई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया, परेशान परिवार ने कलेक्टर किरण कौशल के समक्ष भी गुहार लगाई थी. जहां से एसडीएम कटघोरा को तत्काल स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिए गए थे. बावजूद इसके संगीता का स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सका था.
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अधिकारियों के रवैये ने किया परेशान
बुधवार की देर शाम तक भी एसडीएम कार्यालय में मौजूद संगीता को राहत नहीं मिली और पाली तहसीलदार ने जमीन संबंधी प्रतिवेदन पेश करने कहा. जबकि सारे दस्तावेज पहले से ही जमा थे और परिवार के ही 5 लोगों का स्थाई जाति प्रमाण पत्र पहले ही जारी हो चुका है. संगीता ने अधिकारियों के इस बर्ताव से परेशान होकर अपनी बात मीडिया के सामने रखी.
रायपुर तक पहुंची बात
सूत्रों की मानें तो संगीता का प्रकरण राजधानी तक जा पहुंचा. उच्चाधिकारियों की कड़ी फटकार के बाद पाली तहसीलदार जो चंद घंटे पहले तक जांच की बात कर रहे थे. उन्होंने दबाव बढ़ता देख हल्का पटवारी के अवकाश पर होने के बावजूद तत्काल जांच की कार्रवाई पूरी कराई और प्रकरण को तत्काल एसडीएम के टेबल तक पहुंचाया. तब जाकर एसडीएम ने गुरुवार शाम संगीता मरावी का स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी किया. अब संगीता पूरे दस्तावेजों के साथ इंटरव्यू में शामिल हो सकेंगी.