कोरबा :वन कर्मियों की हड़ताल का (Forest workers strike in Chhattisgarh) असर विभागीय कामकाज पड़ा है. हालात यह हैं कि विभाग स्थानीय लोगों को किराए पर रखकर काम ले रहा है. गर्मी शुरू होने के साथ ही अगलगी की शिकायतें भी बढ़ गई हैं. जंगल में लगी आग बुझाने के लिए प्रशिक्षित लोगों से काम लिया जा रहा है. इधर कटघोरा वन मंडल में 40 हाथियों का दल विचरण कर रहा है. उन्हें खदेड़ने के लिए भी वन विभाग के पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं. अधिकारियों का दावा है कि वन प्रबंधन समिति और स्थानीय लोगों की सहायता से आग पर काबू पाने में कामयाब हैं और रूटीन के काम भी चल रहे हैं.
जिले का 40 फीसदी है वन क्षेत्र :कोरबा जिले का कुल क्षेत्रफल 7 लाख 14 हजार 544 हेक्टेयर है. जिसमें से 2 लाख 83 हजार 497 हेक्टेयर वन भूमि है. यह कुल क्षेत्र का 40 फीसदी हिस्सा है. यूं तो कोरबा जिले को बिजली उत्पादन व कोयले की उपलब्धता के कारण देश और दुनिया में पहचाना जाता है. लेकिन प्रदेश की उर्जाधानी होने के साथ ही साथ कोरबा अपने समृद्ध वनों के लिए भी अब ख्याति प्राप्त कर रहा है.
कोरबा वन मंडल में लगी है आग :खासतौर पर कोरबा वनमंडल में आग लगने की शिकायतें ज्यादा सुनाई दे रही हैं. हड़ताल पर बैठे वन कर्मियों का दावा है कि उन्हें रोज स्थानीय लोगों से जंगल में आग की सूचना मिल रही है. इस पर काबू पाना अधिकारियों के वश की बात नहीं है. जबकि दूसरी तरफ वन अधिकारी कह रहे हैं कि स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है, जो कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे हैं. प्रत्येक कर्मचारी को जंगल के एक निर्धारित इलाके कंपार्टमेंट की जिम्मेदारी रहती है. इसमें आग लगने पर वह जरूरी इंतजाम करते हैं. वर्तमान में इस तरह के इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं.
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