छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

EXCLUSIVE: कहीं आपके जूस में वही बर्फ तो नहीं जो मुर्दाघर जाती है - chhattisgarh

सड़क किनारे मिलने वाले जूस में ऐसी बर्फ डाली जा रही है, जो खाद्य पदार्थों के लिए वैध नहीं है. इस मामले की खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी को कोई भनक नहीं है.

EXCLUSIVE: कहीं आपके जूस में वही बर्फ तो नहीं जो मुर्दाघर जाती है

By

Published : Apr 25, 2019, 8:24 PM IST

कोरबा: अगर आप ठेले पर किसी भी फल या गन्ने का जूस पी रहे हैं तो सावधान हो जाइए. गर्मी के मौसम में अमानक बर्फ और पेप्सी पाउच की बिक्री हो रही है. सड़क किनारे मिलने वाले जूस में ऐसी बर्फ डाली जा रही है, जो खाद्य पदार्थों के लिए वैध नहीं है. इस मामले की खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी को कोई भनक नहीं है.

EXCLUSIVE: कहीं आपके जूस में वही बर्फ तो नहीं जो मुर्दाघर जाती है

इस तरह की कई बर्फ और पेप्सी की फैक्ट्रियां शहर के तमाम इलाकों में मौजूद हैं. बर्फ की फैक्ट्री में साफतौर पर लिखा है कि इसका इस्तेमाल केवल औद्योगिक प्रयोजन के लिए होना है. लेकिन वहां बैठे मैनेजर खुल कर कह रहे हैं कि ये तो सिर्फ लिखने के लिए लिख दिया गया है. इतने बड़े निर्देश को औपचारिकता बता कर मैनेजर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ETV भारत के कैमरे में ये सारी बातें कैद हुई हैं.

इस बर्फ का उपयोग मुर्दाघर में होता है
दरअसल, इस बर्फ का औद्योगिक प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किए जाने का मतलब है कि खाद्य और पेय पदार्थों में इस बर्फ का उपयोग नहीं किया जा सकता. न ही जूस में मिलाकर दिया जा सकता है. ऐसे में इस बर्फ का उपयोग मुर्दाघर में रखे शव की सुरक्षा के लिए किया जाता है. यह मामला शहर के पुरानी बस्ती में शिव बर्फ फैक्ट्री की दुकान का है. यहां बैठे मैनेजर साफ कह रहे हैं कि लिखा हुआ निर्देश तो सिर्फ औपचारिकता है.

बोर के पानी से बनाते हैं बर्फ: मैनेजर
हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि हम बोर के शुद्ध पानी से बर्फ तैयार करते हैं और फैक्ट्री में सभी तरह की बर्फ एक ही प्रक्रिया से तैयार होती है. लेकिन नियमानुसार खाद्य पदार्थों के लिए बर्फ अलग तरह से तैयार किया जाना चाहिए.

न बैच नंबर, न एक्सपायरी डेट
इसके बाद हमने पाउच में आने वाली पेप्सी की पड़ताल की, जिसे सभी बड़े चाव से गर्मियों में खाते हैं. ये जो फ्लेवर वाले पेप्सी बनते हैं इसकी कई छोटी फैक्ट्रियां शहर के तमाम जगहों पर स्थिति है. इन फैक्ट्रियों में किस तरह इसे तैयार किया जाता है इसकी जांच कभी नहीं होती है. इसकी पैकेजिंग करके इसे दुकानों और ठेले विक्रेताओं को बेचा जाता है. लेकिन इन फ्लेवर वाले पेप्सी के पैकेट में न तो कोई बैच नंबर होता है और न ही इसके बनने और खराब होने की तिथि स्पष्ट होती है.

अधिकारियों ने कही जांच की बात
CMHO डॉ बी बी बोर्ड बताते हैं कि इन सब लापरवाहियों से पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की शिकायत मिली हैं. इस पर हमने खाद्य सुरक्षा अधिकारी को भी तत्काल जांच करने के लिए निर्देशित कर दिया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details