साय कैबिनेट के विस्तार में सोशल इंजीनियरिंग का रखा गया ध्यान, ऐसे बीजेपी ने बिछाई लोकसभा इलेक्शन की बिसात - राजनीतिक पंडित भी दंग
chhattisgarh cabinet expansion 2023 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 24 के रण के लिए बीजेपी ने जो सियासी बिसात बिछाई है उससे राजनीतिक पंडित भी दंग हैं. छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले का ध्यान रखा है. साय सरकार के मंत्रिमंडल से लेकर पार्टी तक में इसकी झलक देखने को मिलती है.
साय कैबिनेट के विस्तार में सोशल इंजीनियरिंग का रखा गया ध्यान
कोरबा: विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद बीजेपी ने सीएम और दो डिप्टी सीएम की घोषणा की. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बाद लगातार आदिवासी सीएम की मांग छत्तीसगढ़ में गाहे बगाहे होती रही है. जिसे बीजेपी ने पूरा कर दिया. बीजेपी के सियासी गणित को समझें तो पहली बार दो डिप्टी सीएम एक ओबीसी और दूसरा ब्राह्मण समाज से देकर सारे सियासी गणित को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग की तारीफ राजनिति के पंडित भी कर रहे हैं.
सोशल इंजीनियरिंग से लोकसभा पर निशाना: विधानसभा चुनाव के बाद अब 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल के विस्तार से भी लोकसभा सीटों पर निशाना साध रही है. भारतीय जनता पार्टी ने ताबड़तोड़ कई ऐसे निर्णय लिये हैं. जिसने राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया है. चुनाव में पहली बार जीतकर आये अपेक्षाकृत लो प्रोफाइल नेताओं को बड़ा अवसर पार्टी ने दिया है. ताकि सियासी समीकरण का पूरा गणित फिट बैठे.
क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित: वरिष्ठ पत्रकार मनोज शर्मा कहते हैं कि बीजेपी में संगठन काम करता है. शीर्ष संगठन ने जो निर्णय लिए, उसने सबको चौंका दिया. कई दिग्गज नेता ऐसे हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है. पहली बार चुनाव जीतने वालों को बड़ी जवाबदेही मिली है. बीजेपी ने यह संदेश भी दिया है कि पार्टी पर किसी का एकाधिकार नहीं है. निष्ठापूर्वक काम करने वाले कार्यकर्ताओं को कभी भी पार्टी बड़ा मौका दे सकती है. साय कैबिनेट में जातिगत समीकरणों का ध्यान रखा गया है. हर वर्ग से कम से कम एक मंत्री छत्तीसगढ़ को मिला है. लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने बेहद सटीक तरीके से मंत्रियों का चुनाव किया है.
सबसे बड़ी आबादी ओबीसी पर बीजेपी का फोकस:वरिष्ठ पत्रकार रफीक मेमन कहते हैं कि साय मंत्रिमंडल में 12 में से 6 मंत्री अर्थात 50 फ़ीसदी मंत्री ओबीसी वर्ग से आते हैं. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा लोग ओबीसी वर्ग के ही हैं. बीजेपी ने ओबीसी वर्ग के विधायकों को अधिक अवसर इसलिए दिया है. दिग्गजों को दरकिनार कर पार्टी ने निष्ठावान और छोटे कद के नेताओं को तवज्जो दी. पार्टी को इस बदलाव का फायदा आने वाले लोकसभा चुनाव में मिलेगा. रफीक मेमन कहते हैं कि मंत्रिमंडल की घोषणा के बाद अभी भी विभागों का बंटवारा नहीं किया गया है. पार्टी की इससे किरकिरी भी हो रही है, जबकि एक पद को खाली भी रखा गया है. पूरे गणित को समझें तो छत्तीसगढ़ में सीएम को मिलाकर कुल 13 मंत्री हो सकते हैं, लेकिन 13वां मंत्री कौन होगा, इसकी घोषणा अभी नहीं हुई है. भाजपा जैसी पार्टी को मंत्रिमंडल का विस्तार और विभागों के बंटवारे में देर करना शोभा नहीं देता.
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मिली हैं छत्तीसगढ़ से बंपर सीटें: छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटें हैं. वर्तमान में बीजेपी के पास 9 सीट है. 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले 2014 में भी बीजेपी के पास 10 सीट थी. इसलिए सीटों की संख्या के लिहाज से यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सफलताएं मिलती रही हैं. लोकसभा में लोग प्रधानमंत्री का चेहरा देखकर मतदान करते हैं, जबकि विधानसभा चुनाव में कहीं ना कहीं विधानसभा कैंडिडेट की छवि लोगों के मन में रहती है. इस लिहाज से भी बीजेपी ने अपनी तैयारी अभी से शुरू कर दी है.
लोकसभा में 5 सीटों पर नए चेहरों को मिलेगा मौका:2023 के विधानसभा चुनाव में सरगुजा सांसद रेणुका सिंह, रायगढ़ सांसद गोमती साय, बिलासपुर से सांसद अरुण साव और दुर्ग से सांसद विजय बघेल ने विधानसभा चुनाव लड़ा. विजय बघेल को छोड़, बाकी सभी चुनाव जीत चुके हैं. जीते हुए सांसदों ने संसद से अपना इस्तीफा भी दे दिया है. इन सीटों पर अब नए चेहरों को अवसर मिलेगा. इसके अलावा कोरबा और बस्तर में कांग्रेस के सांसद हैं इन दो सीटों पर भी बीजेपी को नए चेहरों की तलाश है. इसलिए आने वाले लोकसभा चुनाव में इन पांच सीटों पर नए चेहरों को मौका मिलना लगभग तय है. वर्तमान में रायपुर से सुनील कुमार, महासमुंद से चुन्नीलाल साहू, राजनांदगांव से संतोष पांडे, कांकेर से मोहन मंडावी, जांजगीर-चांपा गुहाराम अजगले बीजेपी के सांसद हैं. इन सिटिंग सांसदों को दोबारा अवसर भी दिया जा सकता है.
मंत्रियों में एसटी, एससी और ओबीसी सबकी भागीदारी: वर्तमान मंत्रिमंडल विस्तार के बाद साय कैबिनेट में 6 मंत्री ओबीसी कोटे से हैं. एसटी वर्ग से 3 और एससी वर्ग से भी 1 विधायक को मंत्री बनाया गया है, जबकि 2 मंत्री सामान्य वर्ग के हैं. जातिगत समीकरण के साथ ही बीजेपी ने संभाग में और लोकसभावार विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया है. प्रयास किया है कि सभी क्षेत्र से एक मंत्री जरूर मंत्रिमंडल में शामिल हो, क्षेत्र और जातिगत समीकरण के कारण भी कुछ बेहद नए चेहरों को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है. जिनके नाम ने सभी को चौंका दिया है.