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Naglok Of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ का नागलोक बना कोरबा, 25 से अधिक प्रजाति के सांपों का बसेरा !

Naglok Of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक सुंदरता के साथ वन्य जीवों को बड़ा सहारा देता है. इस प्रदेश में वनों के कारण अलग-अलग किस्म के जंगली जानवर हैं. वहीं प्रदेश के अंदर सर्पों के लिए भी अनुकूल वातावरण है. कोरबा में नागों के राजा यानी किंग कोबरा समेत दुर्लभ किस्म के सांप देखने को मिलते हैं. इसी वजह से इसे छत्तीसगढ़ का नागलोक भी कहा जाने लगा है.

Naglok Of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ का नागलोक बन सकता है कोरबा

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Published : Aug 17, 2023, 10:58 PM IST

छत्तीसगढ़ का नागलोक बना कोरबा

कोरबा :छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी यानी कोरबा एनटीपीसी के लिए जाना जाता है. लेकिन अब एक और वजह से इस नगरी की पहचान होने लगी है. कोरबा में अब सांपों का कुनबा बढ़ने लगा है.यही वजह है कि पिछले कुछ महीनों से कोरबा में स्नेक बाइट के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही साथ कई दुर्लभ किस्म के सांप भी स्नैक कैचर्स ने इलाके से बरामद किए हैं.कोरबा में किंग कोबरा समेत वन सुंदरी जैसी दुर्लभ प्रजाति के सांप भी अब बड़ी संख्या में मिल रहे हैं. यही वजह है कोरबा अब नागलोक बनने के लिए अग्रसर है.

जंगली ही नहीं रिहायशी इलाकों में सांपों की भरमार:छत्तीसगढ़ का नागलोक जशपुर के तपकरा को कहा जाता है. लेकिन मौजूदा समय में जितनी संख्या में कोरबा से सांप बरामद हो रहे हैं.वो दिन दूर नहीं जब कोरबा भी नागलोक के नाम से जाना जाएगा. जंगली क्षेत्रों के साथ कोरबा के रिहायशी इलाकों में बड़ी संख्या में सांप मिल रहे हैं. दुनिया में जहर के लिए मशहूर किंग कोबरा का स्थायी निवास भी कोरबा में है. स्नेक कैचर्स ने आबादी वाले इलाकों में भी अलग-अलग प्रजातियों के कोबरा रेस्क्यू किए हैं. कई क्षेत्रों में सिर्फ कोबरा ही नहीं, करैत से लेकर वन सुंदरी प्रजाति के सांप भी कोरबा में मिले हैं.

हर साल कितने सांपों का होता है रेस्क्यू ? : स्नेक रेस्क्यू टीम हर साल 3 से 4000 कॉल अटेंड करती है. तो स्नेक बाइट की संख्या भी कोरबा में औसतन प्रत्येक वर्ष 350 पहुंच चुकी है.अच्छी बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग ने इस वर्ष एंटी स्नेक वेनम को अधिक मात्रा में स्टोर करके रखा है. तो स्नेक रेस्क्यू टीम भी कॉल आते ही सांपों का रेस्क्यू करने निकल पड़ती है. सांपों की अलग-अलग प्रजातियों का मिलना जंगल के समृद्ध जैव विविधता का प्रमाण तो हैं. लेकिन जब यह आबादी वाले इलाकों में प्रवेश कर जाते हैं. तब लोगों को खतरा भी हो जाता है. जहरीला सांप अगर काट ले तो सावधानी न बरतने पर मौत भी हो सकती है. इसलिए अधिक सावधान रहने की भी जरूरत है.


50 से अधिक प्रजातियों का निवास :स्नेक रेस्क्यू टीम के अध्यक्ष जितेंद्र सारथी ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले चार-पांच सालों के दौरान कई प्रजातियों के सांपों का कोरबा के अलग-अलग स्थान से रेस्क्यू किया गया है. लगभग 25 प्रजातियों का रेस्क्यू हो चुका है.

ऐसा अनुमान है कि कोरबा जिले में 50 से अधिक प्रजातियों के सांपों का निवास है. किंग कोबरा से लेकर करैत जैसे जहरीले सांप हो या फिर वन सुंदरी जैसे दुर्लभ सांप. सभी का कोरबा में निवास है. कोरबा के जैव विविधता इतनी समृद्ध है कि यहां सांपों को बेहद अनुकूल वातावरण मिलता है. सांप तेजी से फल फूल रहे हैं. -जितेंद्र सारथी, अध्यक्ष, स्नेक रेस्क्यू टीम

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किन प्रजातियों का कोरबा में हो चुका है रेस्क्यू ?:स्नेक रेस्क्यू करने वाले युवाओं और इनके टीम के अध्यक्ष धीरेंद्र जी के माने तो कोरबा में अब तक लगभग 20 से 25 सांपों को वह खुद ही रेस्क्यू कर चुके हैं. लेकिन अनुमान है कि कोरबा में 50 से भी अधिक प्रजाति के सांपों का स्थाई तौर पर बसेरा है. इसमें से कोरबा में अब तक King cobra नाग राज, Spectacled cobra गेहुंवा नाग, Banded Krait अहिराज, Common Krait घोड़ा करैत, Bamboo pit viper कोरकोट नाग, Russell viper घोनस साप, Saw scaled viper फुर्सा साप, Rat snake धमना, Indian Rock Python अजगर, Checkered keelback ढोड़िया, Sand Boa मुसलेडी, Buff striped keelback बमनीन या पिटपिटी, Bronze back tree snake डार डोमी, Trinket snake वन सुंदरी, Cat snake बिल्ली साप, Barred Wolf भेड़िया सांप, Common wolf दण्ड करैत, Common kukri बेलिया करैत, Vine snake सुआ सांप, Banded racer धूल नागिन, Blind snake अंधा सांप, Forsten's cat snake चिंगराज और Russell kukri रसल कुकरी जैसे प्रजाति मिले हैं.

छत्तीसगढ़ का नागलोक बन सकता है कोरबा
कोरबा में 50 से भी अधिक प्रजाति के सांपों

जहर से अधिक डर से मरते हैं लोग :मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल सुपरीटेंडेंट गोपाल सिंह कंवर के मुताबिक व्यक्ति समय पर अस्पताल पहुंच जाए तो निश्चित तौर पर उनकी जान बच सकती है. चाहे सांप कितना ही जहरीला क्यों ना हो.

स्नेक बाइट का आंकड़ा

सांप का जहर शरीर में फैलने 7 से 8 घंटे लगते हैं. इतना देर में मरीज आसानी से हमारे पास पहुंच सकते हैं. लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि सांप काटने के बाद लोग घबरा जाते हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अक्सर यह बात सामने आती है कि सांप के जहर से नहीं स्नैक बाइट वाले व्यक्ति की मौत हार्ट अटैक से हुई है. यह एक भ्रांति है. जिसे लोगों को दूर करना होगा. -गोपाल सिंह, मेडिकल सुपरिटेंडेंट

आपको बता दें कि स्नेक बाइट के मामले लगातार हमारे सामने आते हैं. बरसात का सीजन चालू होते ही इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी होती है. 50 फीसदी मामले इन तीन चार महीनों में ही आ जाते हैं. सांपों की संख्या कोरबा में ज्यादा है. इसलिए लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है. स्नेक बाइट के बाद आमतौर पर लोग झाड़फूंक का सहारा लेते हैं.लेकिन ऐसा करने से उनकी जान खतरे में पड़ सकती है.इसलिए वक्त रहते अस्पताल पहुंचे.

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