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सरायपाली खदान के गेट पर लगा ताला, मांगों के समर्थन में जारी है आंदोलन - सरायपाली ओपन कास्ट

30 मई 2018 को यह निर्णय लिया गया था कि जब भी सरायपाली परियोजना में कोयला परिवहन एवं लोडिंग का ठेका कार्य ई टेंडर के माध्यम से जारी किया जाएगा, तब उसमें यह प्रावधान किया जाएगा. कुल ठेका कार्य में से 20% कार्य प्रभावित परिवारों के द्वारा बनाई गई सहकारी समिति के माध्यम से कराया जाएगा. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा.

Korba Saraipali mine
सरायपाली खदान

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Published : Jun 16, 2020, 5:53 PM IST

कोरबा : सरायपाली ओपन कास्ट कोयला परियोजना के गेट पर ऊर्जाधानी भू विस्थापित किसान कल्याण समिति एवं अन्य सहयोगी संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. भू विस्थापितों ने परियोजना के मेन गेट पर ताला जड़ दिया है. पिछले 2 दिनों से ये आंदोलन जारी है. अब तक प्रबंधन की ओर से बातचीत के लिए कोई भी आगे नहीं आया है.

सरायपाली खदान में मांगों को लेकर ताला

प्रभावित परिवारों को काम में 20 फीसदी आरक्षण की बात कही गई थी, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. इस वजह से लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लोगों ने लॉकडाउन का पालन करते हुए सरायपाली परियोजना के मेन गेट पर अस्थाई झोपड़ी का निर्माण किया है. ये आंदोलन सोशल डिस्टेंसिंग और जिला प्रशासन की ओर से जारी दिशा निर्देश का पालन करते हुए किया जा रहा है.य

पूरा नहीं हुआ वादा

बता दें कि सरायपाली परियोजना में कुल खातेदारों की संख्या लगभग 1126 है, जिसमें से वर्तमान में कोल इंडिया पॉलिसी 2012 के तहत 321 लोगों को नियमित नौकरी दी जा रही है. बाकि लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था के लिए एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के डायरेक्टर फंक्शनल की मीटिंग में 30 मई 2018 को यह निर्णय लिया गया था कि, जब भी सरायपाली परियोजना में कोयला परिवहन एवं लोडिंग का ठेका कार्य ई टेंडर के माध्यम से जारी किया जाएगा, तब उसमें यह प्रावधान किया जाएगा की कुल ठेका कार्य में से 20% कार्य प्रभावित परिवारों की बनाई गई सहकारी समिति के माध्यम से कराया जाएगा. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा.

20 परसेंट आरक्षण लागू नहीं

27 मई 2020 को एसईसीएल मुख्यालय की ओर से ई टेंडर के माध्यम से कोयला उत्खनन परिवहन एवं लोडिंग का ठेका कार्य जारी किया गया है. इसमें परियोजना से प्रभावित होने वाले भूविस्थापितों के लिए 20 परसेंट के आरक्षण को लागू नहीं किया गया है.

नया टेंडर जारी किया जाए

ऊर्जाधानी भू विस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कहा कि वर्तमान में जारी ई टेंडर को निरस्त करते हुए उपरोक्त एफ.डी. (Functional directors) में लिए गए निर्णय को लागू करते हुए नया टेंडर जारी किया जाए. आने वाले 1 सप्ताह के अंदर गेवरा, दीपका ,कुसमुंडा के कोयला खदानों से उत्पादन को बंद किया जाएगा.

'मांगे पूरी नहीं होने पर होगा आंदोलन'
भू विस्थापित संगठन के मंजीत यादव ने बताया कि एमसीएल (महानदी कोलफील्ड लिमिटेड) ओडिशा में विस्थापितों की 52 कोऑपरेटिव सोसायटी का काम कर रही है, जहां उन्हें 5 करोड़ रुपये का सालाना काम आवंटित किया जाता है. जिन सेवा शर्त और काम प्रदान करने के मुद्दों को लेकर हम आंदोलन कर रहे हैं, वह सभी नियम एमसीएल में वर्ष 2007 से ही लागू है, लेकिन कोरबा जिले के खदानों में यह नियम लागू नहीं है. जब तक प्रबंधन हमारी मांगों को मान नहीं लेती आंदोलन लगातार जारी रहेगा.

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