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एसईसीएल का दावा : नॉन पावर सेक्टर को भी मिलेगा कोयला, पावर सेक्टर को प्राथमिकता - Latest Chhattisgarh news

Non power sector will also get coal in Korba: बीते दिन यह खबर तेजी से फैली कि एसईसीएल ने रोड सेल के माध्यम से नॉन पावर सेक्टर को कोयले की सप्लाई बंद कर दी है. हालांकि एसईसीएल ने आज ये साफ कर दिया है कि कोरबा में नॉन पावर सेक्टर को भी कोयला मिलेगा. लेकिन इसमें पावर सेक्टर को प्राथमिकता दी जाएगी.

Non power sector will also get in Korba
कोरबा में नॉन पावर सेक्टर को भी मिलेगा

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Published : Jan 29, 2022, 6:21 PM IST

Updated : Jan 29, 2022, 6:43 PM IST

कोरबा:एक दिन पहले कोयला उद्योग में यह खबर तेजी से फैली कि एसईसीएल ने रोड सेल के माध्यम से नॉन पावर सेक्टर को कोयले की सप्लाई बंद कर दी है. इससे नॉन पावर सेक्टर में हड़कंप मच गया. लेकिन शनिवार को एसईसीएल ने यह स्पष्ट किया है कि वह बेस्ट एफर्ट्स की प्रक्रिया के तहत नॉन पावर सेक्टर को भी कोयला प्रदान (Non power sector will also get coal in Korba) करेंगे. आयरन स्पंज, री रोलिंग और एल्युमिनियम प्लांट्स को कोयला नहीं देने का कोई भी आदेश या निर्देश जारी नहीं किया गया है. हालांकि एक दिन पहले कुछ पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक क्रिटिकल होने की वजह से उन्हें प्राथमिकता के आधार पर कोयले की आपूर्ति की गई थी.

पावर सेक्टर को मिलेगी प्राथमिकता

पावर सेक्टर को मिलेगी प्राथमिकता

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स के छत्तीसगढ़ में 50 कोयला खदान हैं, जहां कोयले का अकूत भंडार है. जीएसआई सर्वे के मुताबिक अभी यहां 11 हजार 755 मीट्रिक टन कोयले का भंडार है. वर्तमान में कोरबा की खदानों से 3 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रतिदिन किया जाता है. कोल इंडिया लिमिटेड को अपने कुल कोयले में से करीब 20 फीसदी कोयला अकेले कोरबा से ही मिलता है. यहां से निकला कोयला छत्तीसगढ़ के 16 पावर प्लांट समेत गुजरात और मध्य प्रदेश के पावर प्लांट को भी सप्लाई होता है. बीते कुछ दिनों से पावर प्लांट में कोयले की कमी बरकरार है. 10 दिन से कम कोयले का स्टॉक होने पर पावर प्लांट को क्रिटिकल माना जाता है.

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कुछ पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक क्रिटिकल जोन में

पिछले एक-दो दिनों में एसईसीएल के नियमित उपभोक्ता की सूची में शामिल कुछ पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक क्रिटिकल जोन में पहुंच गया था. इसके कारण उन्हें प्राथमिकता से कोयला सप्लाई देने के आदेश एसईसीएल के अधिकारियों को मिले. इसके कारण ही यह स्थिति उत्पन्न हुई कि कुछ समय के लिए नॉन पावर सेक्टर को कोयले की आपूर्ति रोकनी पड़ी. इसके कारण गेवरा और दीपका क्षेत्र के खदानों में ट्रकों की लंबी कतारें देखी गईं. लेकिन एसईसीएल ने यह स्पष्ट किया कि नॉन पावर सेक्टर को कोयला नहीं देने संबंधी कोई आदेश नहीं हैं. कुछ पावर प्लांटों में क्रिटिकल हालात को देखते हुए उन्हें प्राथमिकता के आधार पर कोयला सप्लाई किया गया है. स्थिति सामान्य होते ही नॉन पावर सेक्टर को भी कोयला सप्लाई किया जाएगा.

तो क्या अब भी बनी हुई है कोयले की कमी?

वर्तमान परिस्थितियों ने एक बार फिर उन चर्चा को छेड़ दिया है, जिनमें कोयला क्राइसिस की स्थिति होने की बात सामने आ रही है. एसईसीएल द्वारा पावर सेक्टर को प्राथमिकता के आधार पर कोयला देने की बात कही जा रही है. जिससे नॉन पावर सेक्टर के इंडस्ट्रीज में असमंजस की स्थिति है. देशभर में कोयले की डिमांड देखते हुए एसईसीएल खदानों को भी विस्तार देना चाहता है. लेकिन इसमें कई रोड़े हैं. कुसमुंडा स्थित मेगा परियोजना को भी विस्तार देना है, लेकिन इसमें भी कई अड़चन हैं. एसईसीएल ने जिन भू-विस्थापितों से पहले जमीनें ली हैं, उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो सका है. इससे नए जमीन के अधिग्रहण में समस्या आ रही है. भू विस्थापित लगातार आंदोलन कर रहे हैं, जिसके कारण कोयले का उत्पादन बढ़ नहीं पा रहा है.

Last Updated : Jan 29, 2022, 6:43 PM IST

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