कोरबा:जिले में प्रस्तावित बहुप्रतीक्षित लेमरू एलिफेंट रिजर्व से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस बात की जानकारी दी है. बता दें कि जिले में हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को रोकने के लिए सालों पहले कोरबा वन मंडल सहित रायगढ़ क्षेत्र के वनों को शामिल कर लेमरु एलीफेंट रिजर्व की कार्य योजना तैयार की गई थी. मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. वन मंत्री ने यह साफ किया कि लेमरू एलिफेंट रिजर्व से एक भी गांव का विस्थापन नहीं होगा.
उन्होंने विस्थापन की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि न तो कोई गांव विस्थापित होगा, न ही किसी के निजी और सामूहिक वनाधिकार पर कोई प्रभाव पड़ेगा. एलिफेंट रिजर्व से मानव-हाथी संघर्ष की आशंका को भी उन्होंने निराधार बताया और कहा कि इसके विपरीत हाथी रिजर्व मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने में मदद करेगा. मंत्री अकबर ने जोर देकर कहा कि भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों और वनवासियों के सभी के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है. कोई भी कार्य उनके हितों के खिलाफ नहीं किया जाएगा.
'सरंक्षण रिजर्व' के रूप में किया जा रहा है गठन
मंत्री अकबर ने जोर देकर कहा है कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व का गठन 'सरंक्षण रिजर्व' के रूप में किया जा रहा है, जिसके तहत न कोई गांव विस्थापित होगा और न ही किसी भी तरह निजी वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार पर इसका प्रभाव पड़ेगा. रिजर्व क्षेत्र में आने वाले गांवों को हेबीटेट विकास की अतिरिक्त राशि भी मिलेगी, जिससे मानव हाथी संघर्ष पर नियंत्रण अधिक बेहतर होगा.