Korba News: ग्रामीणों ने कुसमुंडा कोयला खदान में घुसकर बंद कराया काम
कोरबा में खदानों के भीतर कई कंपनियां आउटसोर्सिंग के माध्यम से मजदूरों से काम लेती है. स्थानीय ग्रामीणों की शिकायत रहती है कि एसईसीएल के अधीन कार्यरत यह कंपनियां उन्हें रोजगार नहीं देती बल्कि मजदूरों और तकनीकी कर्मचारियों का पूरा गैंग बाहर से लेकर आते हैं. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलता. इसी बात से नाराज ग्रामीण बड़ी संख्या में कुसमुंडा कोयला खदान पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने लगे.Korba protest news
कुसमुंडा कोयला खदान में ग्रामीणों का प्रदर्शन
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Published : Jun 8, 2023, 8:00 AM IST
कोरबा: खदान विस्तार के लिए जद्दोजहद कर रहे कुसमुंडा कोयला खदान प्रबंध को खोडरी, खमरिया में विरोध का सामना करना पड़ रहा है. कंपनी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है. अब ग्राम बरपाली के ग्रामीणों ने एकजुट होकर बरपाली फेस में पहुंचकर ठेका कंपनी नीलकंठ का काम रोक दिया है. बुधवार को हुए इस विरोध प्रदर्शन के कारण काफी समय तक कोयला उत्खनन का काम प्रभावित रहा.
यह है ग्रामीणों की प्रमुख मांगें : ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी के अधिकारी बाहरी लोगों को कंपनी में रोजगार दे रहे हैं. जबकि यहां स्थानीय लोग बेरोजगार हैं. प्रबंधन और ठेका कंपनी के द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है. जिस वजह से हम आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि एक तरफ रोजगार नहीं दे रहे हैं दूसरी तरफ खदान में होने वाले ब्लास्टिंग की वजह से हमारे घर टूट रहे हैं. खदान के पास होने के कारण जलस्तर भी गिर गया हैं. यहां रहने वाले सभी लोग बड़े स्तर पर प्रदूषण भी झेल रहें हैं. हमारी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. प्रबंधन की अनदेखी से नाराज ग्रामीणों ने बरपाली फेस पर ठेका कंपनी का काम रोक दिया.
भीषण गर्मी में ट्रक के नीचे खड़े रहे ग्रामीण :भीषण गर्मी में ग्रामीण खदान के भीतर आंदोलन करने पहुंचे थे. जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं. इस आंदोलन से खदान के भीतर ट्रकों की कतार लग गई है. वहीं मिट्टी कटिंग व डिस्पेच का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण धूप से बचने ट्रकों के नीचे बैठे रहे.
किसी ने नहीं ली सुध: भीषण गर्मी में रोजगार की मांग को लेकर ग्रामीण एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ खदान के भीतर डटे रहे लेकिन ग्रामीणों के विरोध का असर एसईसीएल प्रबंधन या ठेका कंपनी पर नहीं पड़ा. घंटों बीत जाने के बावजूद भी प्रबंधन या ठेका कंपनी का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा.