कोरबाःकहते हैं कि प्रकृति (Nature)अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए है, जिस रहस्य को सुलझा पाना कई बार मानव के बस से बाहर होती है. वहीं, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरबा (Korba) जिला के कोरकोमा गांव (korcoma village) के पास का तुर्री नाला (Turri Nala) भी किसी रहस्य से कम नहीं है. दरअसल पानी की तुर-तुर बहने वाली धारा के कारण ही ग्रामीणों (villagers)ने इसका नाम तुर्री नाला रख दिया है. जहां भूमि के एक उभरे हुए भाग से लगातार पानी रिसता रहता है. जो कि 12 माह तक मध्यम रफ्तार से बहता रहता है. जिसे एकत्र करने के लिए ग्रामीणों ने एक कुंड का निर्माण भी किया है. हालांकि ये पानी कहां से आता है? यह आज भी रहस्य बना हुआ है. वहीं, इस पानी को ग्रामीण बेहद पवित्र मानते हैं और यह उनकी आस्था का केंद्र भी है.
कभी नहीं सूखता तोरे का पानी
बता दें कि तुर्री नाला के पास जिस जल के स्रोत की हम बात कर रहे हैं, वह आज तक कभी नहीं सुखा. ग्रामीण कहते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है तब से पानी इसी तरह बहते हुए देख रहे हैं. जिसे एकत्र करके रखने के लिए तोरे नाला के पास एक कुंड का निर्माण कर दिया गया है.कहा जाता है कि अब तक कभी भी ऐसी नौबत नहीं आई जब पूरी नॉलेज से निकलने वाले जल के स्त्रोत में किसी तरह की कोई कमी आई हो या कभी सूखने की कगार पर ये तुर्री हो.
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तुर्री नाला की धारा जमीन से
आमतौर पर इस तरह के जल स्त्रोत पहाड़ से निकलते हैं. पहाड़ की किसी चोटी से जल के स्त्रोत फूटते हैं और आगे चलकर वह नदी का रूप ले लेता है. लेकिन तुर्री नाला का जल स्त्रोत भूमि से ही निकल रहा है, जिसके कारण यह रहस्य बना हुआ है. हालांकि जानकारों का इस विषय मे अपना मत है. स्पष्ट तौर पर वह भी नहीं बता सकते कि उत्पत्ति कैसे हो रही है?