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तुर्री नाला का पानी आज भी ग्रामीणों के लिए रहस्य, दूर-दराज से लोग आते हैं देखने

कोरबा (Korba) जिला के कोरकोमा गांव (korcoma village) के पास का तुर्री नाला (Turri Nala), जो कि 12 माह तक मध्यम रफ्तार से बहता रहता है. जिसे एकत्र करने के लिए ग्रामीणों (villagers) ने एक कुंड का निर्माण भी किया है. हालांकि ये पानी (Water) कहां से आता है? यह आज भी रहस्य बना हुआ है.

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Published : Nov 6, 2021, 9:33 PM IST

Updated : Nov 7, 2021, 3:30 PM IST

mysterious water of Turri is still a mystery to the villagers
तुर्री का रहस्यमई पानी अब भी ग्रामीणों के लिए रहस्य

कोरबाःकहते हैं कि प्रकृति (Nature)अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए है, जिस रहस्य को सुलझा पाना कई बार मानव के बस से बाहर होती है. वहीं, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरबा (Korba) जिला के कोरकोमा गांव (korcoma village) के पास का तुर्री नाला (Turri Nala) भी किसी रहस्य से कम नहीं है. दरअसल पानी की तुर-तुर बहने वाली धारा के कारण ही ग्रामीणों (villagers)ने इसका नाम तुर्री नाला रख दिया है. जहां भूमि के एक उभरे हुए भाग से लगातार पानी रिसता रहता है. जो कि 12 माह तक मध्यम रफ्तार से बहता रहता है. जिसे एकत्र करने के लिए ग्रामीणों ने एक कुंड का निर्माण भी किया है. हालांकि ये पानी कहां से आता है? यह आज भी रहस्य बना हुआ है. वहीं, इस पानी को ग्रामीण बेहद पवित्र मानते हैं और यह उनकी आस्था का केंद्र भी है.

दूर-दराज से लोग आते हैं देखने

कभी नहीं सूखता तोरे का पानी

बता दें कि तुर्री नाला के पास जिस जल के स्रोत की हम बात कर रहे हैं, वह आज तक कभी नहीं सुखा. ग्रामीण कहते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है तब से पानी इसी तरह बहते हुए देख रहे हैं. जिसे एकत्र करके रखने के लिए तोरे नाला के पास एक कुंड का निर्माण कर दिया गया है.कहा जाता है कि अब तक कभी भी ऐसी नौबत नहीं आई जब पूरी नॉलेज से निकलने वाले जल के स्त्रोत में किसी तरह की कोई कमी आई हो या कभी सूखने की कगार पर ये तुर्री हो.

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तुर्री नाला की धारा जमीन से

आमतौर पर इस तरह के जल स्त्रोत पहाड़ से निकलते हैं. पहाड़ की किसी चोटी से जल के स्त्रोत फूटते हैं और आगे चलकर वह नदी का रूप ले लेता है. लेकिन तुर्री नाला का जल स्त्रोत भूमि से ही निकल रहा है, जिसके कारण यह रहस्य बना हुआ है. हालांकि जानकारों का इस विषय मे अपना मत है. स्पष्ट तौर पर वह भी नहीं बता सकते कि उत्पत्ति कैसे हो रही है?

समतल खेत से निकलता है जल

तुर्री के जिस स्थान पर जल का स्त्रोत है. उसके ठीक ऊपर दूर-दूर तक समतल मैदान और खेत है. यहां कोई भी नदी, नाले या पानी का स्त्रोत नहीं है. पहाड़ भी काफी दूर 10 कि.मी के फासले पर है. बता दें कि यह पहाड़ भी ऐसे पहाड़ नहीं है, जहां से पानी की धारा निकलती हो. सभी पहाड़ घने वन वाले पहाड़ हैं. जहां पहाड़ी पर बड़ी तादाद में वृक्ष मौजूद है.

इस जल को ग्रामीण मानते हैं पवित्र

कोरकोमा के साथ ही आसपास के ग्रामीणों के लिए तुर्री का पानी बेहद पवित्र है. ग्रामीण कहते हैं कि गांव का कोई भी पवित्र काम तुर्री के जल के बिना पूरा नहीं होता. शादी हो या कोई अन्य पर्व, तुर्री के जल से ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. ग्रामीण बताते हैं कि ये पानी पीने में बेहद स्वादिष्ट और मीठा है. इसलिए दूर-दूर से लोग पीने के लिए इस पानी को लेने यहां पहुंचते हैं.

3 तरह के होते हैं जल स्रोत

इस विषय में भूगोल के प्रोफेसर बी.एल साय कहते हैं कि जल के स्रोत की मौजूदगी 3 तरह से होती है.एक तो पानी हवा में मौजूद होता है. दूसरा स्त्रोत सतह पर होता है, जो तालाब या झरने के रूप में मौजूद होता है. तीसरा स्त्रोत भूमिगत होता है. साथ ही उन्होंने कहा कि तुर्री के विषय मे यह संभव हो सकता है कि वहां का पानी भूमिगत जल स्त्रोत का ही एक रूप है. वह दूर से अंदर ही अंदर किसी नाली की तरह बहते हुए वहां तक पहुंच रही हो और फिर उभरे हुए भाग से इसका उद्गम होता है.आमतौर पर पहाड़ों से इस तरह ही नदियों का उद्गम होता है, लेकिन तुर्री के पानी का उद्गम अपने आप में बड़ा रहस्य है.

Last Updated : Nov 7, 2021, 3:30 PM IST

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