कोरबा:पाली तानाखार सीट वैसे तो कांग्रेस की पारंपरिक सीट कही जा सकती है. लेकिन यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अच्छा खासा जनाधार है. कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा जरूर है. लेकिन आदिवासी उम्मीदवार के लिए आरक्षित इस सीट पर गोंगपा से उन्हें टक्कर मिलती रही है. जबकि राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी भाजपा इस सीट पर गोंगपा से पिछड़कर तीसरे स्थान पर खिसक जाती है. पिछले चुनाव में गोंगपा के सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम ने यहां से चुनाव लड़ा और हर बार की तरह वह दूसरे स्थान पर रहे. वह कांग्रेस के मोहित केरकेट्टा से सिर्फ 9000 के करीब वोटों से ही पिछड़े थे. जबकि भाजपा के मुकाबले उन्हें 24000 से अधिक मत मिले थे. लेकिन इस बार हीरा सिंह मरकाम नहीं हैं. संभावना है कि उनके बेटे तुलेश्वर यहां से गोंगपा पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ेंगे. तो दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.
पाली तानाखार विधानसभा में वोटर्स की संख्या:इस बार के विधानसभा चुनाव में कल 205961 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. महिला और पुरुषों की वोटर की संख्या में भी पाली तानाखार में ज्यादा अंतर नहीं है. महिला वोटर की संख्या 101146 है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 104805 है. ट्रांसजेंडर 10 है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 3659 ज्यादा है.
पाली तानाखार विधानसभा के मुद्दे:जल, जंगल और जमीन के लिए प्रख्यात पाली तानाखार विधानसभा एक आरक्षित सीट है. जहां 75 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. कई क्षेत्र काफी दुर्गम हैं. जहां तक डुबान को पारकर नाव के जरिए पहुंचना पड़ता है. स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. इस क्षेत्र के शिक्षक अपना ट्रांसफर करवाकर शहर के नजदीक चले जाते हैं. कुछ गांव अत्यधिक फ्लोराइड प्रभावित हैं. जो करोड़ों खर्च करने के बाद भी ग्रामीणों के लिए नासूर बना हुआ है. पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण ग्रामीणों के हाथ पांव टेढ़े मेढ़े हो चुके हैं.
पाली तानाखार विधानसभा की समस्याएं: पसान और केंदई के आसपास हाथियों ने दहशत कायम कर रखी है. क्षेत्र में लगातार हाथी घूमघूम कर फसल और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत समस्याएं पाली तानाखार में बरकरार है. क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा इसी विधानसभा में है. लेकिन आजादी के 76 साल बाद भी उच्च शिक्षा की दृष्टि से पाली तानाखार को ज्यादा कुछ नहीं मिला है. पाली में कॉलेज है, लेकिन इसके विपरीत दिशा जटगा में 4 साल पहले कॉलेज शुरू तो हुआ. लेकिन अब तक इसे अपना भवन नहीं मिल सकहै. कॉलेज का संचालन स्कूल की बिल्डिंग में होता है. पर्याप्त संसाधन और प्रोफेसर भी नहीं हैं.