कोरबा: एसईसीएल क्षेत्र के भूविस्थापितों के आंदोलन के बाद आखिरकार जिला प्रशासन को झुकना पड़ा. देर रात तक चले भूविस्थापितों के आंदोलन के बाद प्रशासन ने देर रात एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया जिसके बाद आंदोलनकारियों ने अपना आंदोलन खत्म किया.
मंगलवार को भूविस्थापितों ने बड़ा आंदोलन किया. रोजगार की मांग, पुनर्वास और खनन प्रभावित गांवों की समस्याओं के निराकरण के साथ ही 14 सूत्रीय मांगों को लेकर 50 गांव के भू विस्थापितों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया. जो देर रात तक चला. जिला प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी में विस्थापित बारिश में भी छाता लेकर सड़क पर बैठे रहे. रात हुई तो यही खाना पकाकर एक दूसरे को खाना परोसने लगे.
SECL ने कुसमुंडा, गेवरा, कोरबा, दीपका में कई गांवों का अधिग्रहण किया है. इस अधिग्रहण का शिकार गरीब किसान हुए है. आज भी हजारों भू-विस्थापित पट्टा, जमीन वापसी, रोजगार, बसावट और मुआवजा के लिए चक्कर काट रहे है. अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 सालों में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्जा नहीं किया है. मूल किसान ही पीढ़ियों से वहां काबिज हैं. यह जमीन किसानों को वापस किया जाना चाहिए. जब किसानों की जबरन अधिग्रहित भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे दिए जा रहे हैं, तो पुनर्वास गांवों के हजारों भू-विस्थापित किसानों को पट्टों से वंचित रखना समझ के परे हैं. प्रशांत झा, माकपा जिला सचिव
प्रशासन ने देर रात जारी किया आदेश :विस्थापितों का आंदोलन देर तक चलता देख प्रशासन ने देर रात आदेश जारी किया. जिसमें कहा गया है कि 5 अक्टूबर को सुबह 11 बजे भू विस्थापित, एसईसीएल और जिला प्रशासन की मौजूदगी में बैठक होगी. यही आदेश एसईसीएल के कोरबा, कुसमुंड, दीपका और गेवरा एरिया के महाप्रबंधक को जारी किया गया है. इस आदेश में विस्थापितों को बसावट, भूमि का पट्टा, जमीन वापसी और अन्य समस्याओं को दूर करने को लेकर बैठक का उल्लेख है. बैठक अपर कलेक्टर कटघोरा के रूम में आयोजित की गई है. जिसमें सभी अधिकारियों को उपस्थित रहने को कहा गया है.
विस्थापितों की ये है प्रमुख मांगें :
पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाये.