कोरबा:छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष शफी अहमद कोरबा प्रवास पर रहे. इस दौरान उन्होंने श्रम संगठनों के साथ ही कांग्रेस के श्रमिक विंग के लोगों से खास बातचीत की. श्रमिक बाहुल्य जिला होने के कारण श्रमिकों के समक्ष कोरबा में कई तरह की चुनौतियां हैं. अधिकारों और उचित मेहनताने को लेकर भी श्रमिक कई बार आंदोलनरत रहते हैं. ऐसे में कोरबा जिले को लेकर श्रम कल्याण मंडल की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. अहमद का कहना है कि जब से उन्होंने यह दायित्व संभाला है, तभी से श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं.
सवाल- श्रमिकों की बेहतरी के लिए मंडल की क्या भूमिका है ?
जवाब- शफी अहमद ने बताया कि वे पूरे छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं. श्रमिकों से चर्चा भी कर रहे हैं और यह पता लगा रहे हैं कि कहीं कोई श्रमिक अपने अधिकारों से वंचित तो नहीं है. श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जो भी कानून बने हैं. उन्हें लागू करवाने के साथ ही श्रमिकों को हर तरह की सुविधा मिले ऐसी कोशिश की जा रही है.
'रमन सिंह के कार्यकाल में नहीं हुआ काम'
श्रम कल्याण मंडल के कामकाज से जुड़े सवाल पर अहमद का कहना है कि छत्तीसगढ़ का श्रम विभाग तीन भागों में बंटा हुआ है. पहले असंगठित कर्मकार आते हैं, दूसरा श्रमिक कर्मकार मंडल और तीसरा जिसका दायित्व हमारे पास है. वह श्रम कल्याण मंडल है. यदि किसी भी फैक्ट्री या संस्था में 10 या 10 से ज्यादा मजदूर काम करते हैं. तो वह श्रम कल्याण मंडल की योजनाओं की परिधि में आ जाएगा. उस संस्था पर श्रम कल्याण मंडल के सभी तरह के नियम लागू होंगे. वर्तमान में देखा यह जा रहा है कि यदि किसी फैक्ट्री में 200 लोग काम कर रहे हैं, तो ठेकेदार या फैक्ट्री संचालक सिर्फ 40 या 50 लोगों का ही पंजीयन करवा रहे हैं. जिसके कारण मजदूर अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं. ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है और श्रमिकों को उनका अधिकार दिलाने की कोशिश की जा रही है. पिछले 15 साल में जब रमन सिंह की सरकार थी. तब इस दिशा में कोई भी प्रयास नहीं हुआ. हमारी कोशिश है कि श्रमिकों के चेहरे की खोई हुई मुस्कान को लौटाया जाए.
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