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कोयला मंत्री के दौरे का असर : कोल लदान में 53 हजार टन की बढ़ोतरी, पर संकट अभी टला नहीं

कोयला संकट (Coal crisis) के बीच कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Coal Minister Prahlad Joshi) के जिले के खदानों में दौरे का असर दिखने लगा है. कोयला क्राइसिस (Coal crisis) के चरम पर होने के बाद कोरबा की खदानों (Korba mines) से रेलवे (Railway) द्वारा औसतन 25 से 30 रैक कोयला (Coal) प्रतिदिन डिस्पैच किया जा रहा था. जो कि मौजूदा समय में बढ़कर 35 से 40 रैक के मध्य हो चुका है. SECL के तीन मेगा प्रोजेक्ट दीपका, गेवरा और कुसमुंडा खुली कोयला खदानों से देशभर के पावर प्लांट का कोयला सप्लाई किया जा रहा है.

Impact of coal minister's visit
कोयला मंत्री के दौरे का असर

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Published : Oct 21, 2021, 11:59 AM IST

Updated : Oct 21, 2021, 6:59 PM IST

कोरबाः प्रदेश में चल रहे कोयला संकट (Coal crisis) के बीच कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Coal Minister Prahlad Joshi) के जिले की खदानों में दौरे का असर धरातल पर दिखने लगा है. कोयला क्राइसिस (Coal crisis) चरम पर होने के बाद भी कोरबा की खदानों (Korba mines) से रेलवे (Railway) द्वारा औसतन 25 से 30 रैक कोयला (Coal) प्रतिदिन डिस्पैच किया जा रहा था. वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 35 से 40 रैक के मध्य हो चुकी है. SECL के तीन मेगा प्रोजेक्ट दीपका, गेवरा और कुसमुंडा खुली कोयला खदानों से देशभर के पावर प्लांट का कोयला सप्लाई किया जाता है. इसे रेलवे के जरिये ही पावर प्लांट तक तक पहुंचाया जाता है.

कोयला मंत्री के दौरे का असर

मानसून में प्रतिदिन 20 रैक तक गिरा था डिस्पैच

कोरबा जिले से प्रतिदिन औसतन 40 रैक कोयले का डिस्पैच होता रहा है. कुछ दिन पहले जब मानसून अपने चरम पर था, तब कोयला लदान की यह रफ्तार पूरी तरह से थम गई थी. हालात यह थे कि महज 20 रैक कोयला प्रतिदिन की औसत से ही डिस्पैच किया जा रहा था. हालांकि अब परिस्थितियां धीरे-धीरे ही सही लेकिन बदल रही हैं. वर्तमान में कोयला डिस्पैच 35 से 40 रैक के मध्य आ गया है.

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रेलवे के प्रयास से बढ़ा रैक

वहीं, रेलवे का प्रयास है कि इसे 45 रैक प्रतिदिन तक बढाया जाए. कोयला उत्खनन का काम भी खदानों में तीव्र गति से शुरू किये जाने की बात अफसर कह रहे हैं. रेलवे अफसरों की मानें तो उन्हें जितना कोयला मिलेगा, उतनी मात्रा में ही इसे डिस्पैच किया जा सकेगा. रेलवे के पास रैक की कोई कमी नहीं है. जितनी अधिक तादाद में कोयला मिलेगा, उतनी तेज गति से कोयला लदान भी किया जा सकेगा.

रेल की एक रैक में होती हैं 59 बोगियां

बता दें कि रेल की एक रैक में 59 बोगियां होती हैं. जिनमें 5 हजार 300 टन कोयला ढोया जाता है. वहीं, कोरबा की खदानों से न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों को भी कोयला प्राप्त किया जाता है. जहां से पावर प्लांट में यह कोयला पहुंचता है, जिसके बाद ही बिजली का उत्पादन किया जाता है. वहीं, एसईसीएल ने हाल ही में 60 मिलियन टन उत्पादन का आंकड़ा पार कर लिया है. हालांकि निर्धारित लक्ष्य से एसईसीएल अब भी पीछे है.

तेजी से कोयला उत्खनन का काम खदानों में शुरू

बताया जा रहा है कि अक्टूबर माह के मध्य तक एसईसीएल को 77.30 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना था. इसके मुकाबले 60 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो सका है. मानसून थमने के बाद अब पूरी तेजी से कोयला उत्खनन का काम खदानों में पुनः शुरू किया गया है. एसईसीएल के अफसर दावा कर रहे हैं कि निर्धारित लक्ष्य को हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा.

चिंता अब भी बरकरार

वहीं, पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक अब भी चिंता का विषय बना हुआ है. खदान से उत्पादन और रेलवे से कोल डिस्पैच बढ़ा जरूर है. लेकिन उतना नहीं बढ़ा है जितनी की पावर प्लांटों को जरूरत है. वर्तमान में बिजली की मांग बढ़ी हुई है, जिसके कारण पावर प्लांट पर अधिक मात्रा में बिजली उत्पादन का दबाव है. कोरबा जिले स्थापित थर्मल पावर प्लांट 600 मेगावाट के बालको के पास 7 दिन, 2600 मेगावाट वाले एनटीपीसी के पास 2 दिन, 500 मेगावाट के संयंत्र डीएसपीएम के पास 5, तो 1340 मेगावाट की क्षमता वाले एचटीपीपी पवार प्लांट के पास 5 दिनों के ही कोयले का स्टॉक शेष है. जोकि अब भी चिंता का विषय है.

Last Updated : Oct 21, 2021, 6:59 PM IST

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