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कोरबा: किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन - Korba anti-farmer policy

कोरबा में किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. साथ ही किसानों ने मोदी सरकार पर किसान विरोधी निति बनाने का आरोप लगाते हुए किसानों के साथ छलावा करने का आरोप लगाया है. किसानों ने मौके विरोध-प्रदर्शन के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार को भी आड़े हाथो लिया है.

farmers protested against modi government
किसान विरोधी नितियों के खिलाफ प्रदर्शन

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Published : Jun 10, 2020, 10:16 PM IST

कोरबा:किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कई गांवों में सरकारी अध्यादेश की प्रतियां जलाकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. किसान सभा के राज्य समिति सदस्य सुखरंजन नंदी ने मोदी सरकार पर किसानों के साथ छलावा करने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि धान का समर्थन मूल्य में मामूली प्रति क्विंंटल 53 रुपये की वृद्धि किसानों के साथ ज्यादती करने जैसा है. जबकि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश में लागत मूल्य का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य तय करने को कहा गया है.

केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

किसान सभा के अध्यक्ष सोनकुंवर ने सरकार के उस अध्यादेश का विरोध किया है. जिस अध्यादेश के जरिए से सरकार अब किसानों से फसल खरीदने की जिम्मेदारी से ही बचना चाहती है. उन्होंने कहा कि सरकार जरूरी वस्तु अधिनियम में परिवर्तन कर अब भंडारण की सीमा को हटाकर कालाबाजारी की मार्ग को प्रशस्त कर रही है. इससे बड़े व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को किसानों को लूटने के लिए खूली छूट दे गई है.

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भंडारण कर महंगा बेचते हैं सामान

सोनकुंवर ने कहा कि इस अध्यादेश से आलू, प्याज, दाल, तेल जैसे आवश्यक वस्तुओं को सस्ते दामों में खरीद कर गोदामों में भंडारण करेंगे और बाद में महंगे दरों पर इसे बेचेंगे. जिसका असर गरीबों पर पड़ेगा. प्रदर्शन में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, माकपा पार्षद सुरती कुलदीप, राजकुमारी कंवर ने भी अध्यादेश की प्रतियां जलाकर किसान आंदोलन का समर्थन किया.

भूपेश सरकार पर साधा निशाना

किसान नेताओं ने राज्य सरकार को भी आड़े हाथो लेते हुए कहा एक तरफ भूपेश सरकार किसान न्याय योजना के तहत मक्का उत्पादक किसानों को भी दायरे में लेने की घोषणा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में सरकारी मक्का की खरीदी नहीं कर रही है. जिससे किसान अपनी मक्का सरकारी निर्धारित समर्थन मूल्यों से कम दामों में व्यापारियों को बेचने को मजबूर हैं.

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