कोरबा:देश में एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां हालात बेकाबू हो गए हैं. इसे लेकर सरकार के साथ-साथ आम लोग भी चिंता में हैं. कोरोना के नए स्ट्रेन (corona new strain) और वैक्सीनेशन (vaccination) से जुड़ी भ्रांतियों को किस तरह दूर किया जाए. नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है ? किस तरह के सावधानियां बरती जानी चाहिए ? तमाम सवालों के बीच ETV भारत ने कोरबा मेडिकल कॉलेज (korba medical college) के डीन डॉ. वाईडी बड़गईया से खास बातचीत की.
सवाल: नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है, क्या वायरस का Mutation( उत्परिवर्तन) भी हुआ है?
डॉ. बड़गईया: नया स्ट्रेन (new strain) खतरनाक तो है, यह तेजी से फैल रहा है. जहां तक वायरस के म्यूटेट (mutate) होने की बात है तो हां इसका म्यूटेशन (mutation) भी हुआ है. लेकिन इसमें एक बात पर गौर करना होगा कि वायरस जितना ज्यादा म्यूटेट होता है, वह उतना ही कमजोर होता चला जाता है. जो सबसे खतरनाक वायरस है, जिसने लोगों को मार दिया. वह तो मृतक के शरीर के साथ ही चला जाता है. फैल नहीं पता, लेकिन जो वायरस मारता नहीं सिर्फ बीमार करता है, वह तेजी से फैल रहा है. अक्सर यह देखा गया है कि वायरस जितना अधिक म्यूट होता है. वह उतना कमजोर होता चला जाता है. कई तरह के म्यूटेशन हुए हैं, कुछ स्पाइक म्यूटेशन हैं, न्यूक्लियर म्यूटेशन हैं. कुछ मामलों में तो ईप्रोटीन भी म्यूटेट हो चुके हैं. लेकिन यह सब खतरनाक नहीं हैं. संक्रमण की जहां तक बात की जाए तो, हां संक्रमण तेजी से फैल रहा है. हमने पिछली बार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, लेकिन इसमें यह भी देखना होगा कि डेथ रेट कम है. हमारे आरटीपीसीआर टेस्ट में मरीज पॉजिटिव मिल रहे हैं. ज्यादा खतरनाक स्थिति तब होगी जब यह वायरस इतना म्यूटेट हो जाए की वह डायग्नोज भी ना हो, लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है. फिलहाल स्थिति बेहतर है. हमारे टेस्ट भी पूरी तरह से कारगर हैं.
सवाल: वायरस में बदलाव आने के बाद, सवाल यह भी उठता है कि अब वैक्सीन कितनी कारगर है? क्योंकि वैक्सीन का निर्माण पूर्व के वायरस के आधार पर हुआ था.
डॉ. बड़गईया: देखिए वैक्सीन पूरी तरह से कारगर है. अभी वायरस का प्रोटीन इतना नहीं बदला है कि वैक्सीन कारगर ना साबित हो. हमारे पास फिलहाल दो वैक्सीन हैं कोवैक्सीन और कोविशिल्ड दोनों ही बेहद कारगर हैं. हालांकि हमें अभी पूरी तरह से यह नहीं मालूम है कि वैक्सीन कितनी कारगर है या कितनी असरदार है, लेकिन अभी तक जितने भी रिसर्च हुए हैं. जितना हमें मालूम है, उसके आधार पर हम यह पुख्ता तौर पर प्रमाणित कर सकते हैं कि वैक्सीन पूरी तरह से कारगर है और यह असर भी कर रही है.
सवाल: वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में अब भी कई तरह के सवाल है यह भ्रांतियां कैसे दूर होंगी?
डॉ. बड़गईया: वैक्सीन को लेकर जो मोटी-मोटी समझने वाली बात यह है कि इससे एंटीबॉडीज बन रही है. दो तरह के एंटीबॉडी बनती है. एक टी सेल एंटीबॉडी जिसे न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी कहा जाता है और दूसरी आईजीजी. हो सकता है कि आईजीजी एंटीबॉडी ना बन रही हो, लेकिन जो टी सेल वाली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी है यह बन रही है. यही ज्यादा जरूरी है. वैक्सीन लेने के बाद न्यूट्रलाइजिंग एन्टीबॉडी बन रही है. वैक्सीन इसे बनाने में सहायता करता है. वैक्सीन से न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का हमारे शरीर में प्रसार होता है. ऐसे रिसर्च हमें मिले हैं जिससे हमें पता चला है कि वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की तबीयत इतनी नहीं बिगड़ती जितना कि वैक्सीन ना लेने वाले व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जा रही है. अगर आपने वैक्सीन लगवा लिया है तो यह निश्चित है कि आपकी कंडीशन इतनी ज्यादा खराब नहीं होगी कि आप मौत की स्थिति तक पहुंच जाएं. मुझे पूरा विश्वास है और इसका प्रमाण भी हमें मिला है कि लोगों को शरीर में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बन रही है. जिसके कारण ही वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की तबीयत उतनी नहीं बिगड़ रही, जितना कि उनकी तबीयत बिगड़ रही है जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है. वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेना चाहिए.