कोरबा: हिंदुस्तान 15 अगस्त के दिन अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों को देश ने याद किया. जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और कई देश के सपूत शामिल हैं.
क्यों गुमनाम हैं आजादी के ये 209 परवाने लेकिन भारत की आजादी की लड़ाई में कई गुमनाम नायक भी शामिल थे. जिनके सहयोग के बिना आजादी की कोई भी लड़ाई शायद ही अपने मकसद में कामयाब हो पाती. ऐसे ही कुछ गुमनाम आजादी के परवानों के नाम ईटीवी भारत को मिले हैं. सरकारी अभिलेखों तक में इनका नाम दर्ज है. लेकिन इतिहास के पन्नों में अब तक इन्हें जगह नही मिली है न ही इनके परिवारवालों को अब तक वो सम्मान प्राप्त है. जो दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों को प्राप्त है.
1992 में तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन ने बिलासपुर जिले के गजेटियर का प्रकाशन किया था. जिसमें ऐसे 209 क्रांतिकारियों के नामों का उल्लेख था. जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था.
बिलासपुर के 13 तहसीलों के 209 क्रांतिकारी जो अब भी गुमनाम !
मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 1992 में इस गजेटियर का प्रकाशन किया था. इन सरकारी अभिलेखों का लेखन और प्रकाशन सीधे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में किया जाता है. जिसके सचिव प्रदेश के मुख्य सचिव होते हैं. बिलासपुर जिले में तब कोरबा, जांजगीर-चांपा और गौरेला संयुक्त रूप से शामिल थे.
क्रांतिकारियों के नाम तहसील के हिसाब से दिए गए हैं. तब के बिलासपुर जिले में मस्तूरी, कोटा, गौरेला, नवागढ़, पामगढ़, बालोद, सक्ती, मालखरौदा, कटघोरा और करतला तहसीलों के नाम का उल्लेख है. कुल मिलाकर 209 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम गजेटियर में दर्ज हैं. कोरबा जिले के कटघोरा और करतला तहसील में कुल 52 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम शामिल हैं.
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इनमें से एक क्रांतिकारी का कटघोरा में पेट्रोल पंप
इसी सूची में कटघोरा तहसील से आने वाले झब्बूलाल का नाम 169वें क्रम पर दर्ज है. जिनका पेट्रोल पंप आज भी कटघोरा में संचालित है. कुछ साल पहले ही झब्बूलाल की मृत्यु हुई है, लोग जानते पहचानते हैं.
नाम के अलावा और कुछ भी नहीं
हैरानी वाली बात यह है कि मध्यप्रदेश शासन में 209 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का उल्लेख शासकीय अभिलेखों में किया है. लेकिन उनके नाम और पिता के नाम के अलावा इन सेनानियों के विषय में और किसी तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. स्वतंत्रता सेनानी किस परिवेश से आते थे, आजादी में उन्होंने किस तरह का योगदान दिया? या फिर उनका पूरा पता क्या है? जिससे कि उन्हें ढूंढा जा सके. उनके परिवार के लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिल सके. इस दिशा में कोई पहल कभी नहीं हुई, स्वतंत्रता सेनानी जब तक जीवित रहे, तब तक गुमनामी में रहे. वर्तमान में भी उनके परिवार के विषय में किसी को कुछ भी पता नहीं है. उनके नामों के अलावा किसी भी तरह की और कोई जानकारी का कोई अंश कहीं भी उपलब्ध नहीं है.
संग्रहालय के मार्गदर्शक लिख रहे हैं किताब
कोरबा के पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक हरि सिंह, कोरबा संदर्भ ग्रंथ नाम की एक किताब लिख रहे हैं. जिसमें उन्होंने कम से कम कोरबा के 52 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम को सम्मान देने का प्रयास किया है. हरि सिंह कहते हैं कि यह बेहद आश्चर्यचकित कर देने वाला विषय है कि, गजेटियर में जिन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का उल्लेख मध्यप्रदेश शासन ने किया है. उनके विषय में विस्तृत जानकारी क्यों नहीं दी गई?
उनके परिवार की क्या स्थिति है? किसी को भी नहीं पता है. अकेले कटघोरा और करतला के 52 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का गजेटियर में उल्लेख है. इनमें से एक झब्बूलाल जी से मैं मिलता रहा हूं. हालांकि कुछ साल पहले ही उनकी मृत्यु हो चुकी है. लेकिन जब तक वे जीवित रहे तब तक इस बात से चिंतित थे कि उनके साथियों के नाम को कभी कोई पहचान नहीं मिली. आज भी उनका परिवार किस स्थिति में हैं? यह किसी को भी पता नहीं है.
आजादी के 75 साल पूरे हो गए. लेकिन भारत मां के कई ऐसे वीर सपूत जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया. ऐसे वीर सपूत और उनके परिवार आज गुमनाम हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इन स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास के पन्नों में उचित स्थान और सम्मान मिले. ताकि आने वाली देश की पीढ़ी इस पर गर्व कर सके.