Diwali Without Salary : 2700 प्रमोटेड टीचर्स की दिवाली रहेगी फीकी, 2 महीनों से नहीं मिली सैलरी, जानिए कहां फंसा है पेंच ? - हाईकोर्ट
Diwali Without Salary छत्तीसगढ़ में लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे शिक्षकों की मुसीबत कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है. राज्य शासन ने पोस्टिंग में संशोधन आदेश को निरस्त किया था. जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा. वहीं 3 नवंबर की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी कर सैंकड़ों शिक्षकों की लगाई याचिका को डिस्पोज कर दिया . साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य शासन के पोस्टिंग में संशोधन निरस्त करने वाले आदेश को भी निरस्त किया है.इसके बाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों को अभ्यावेदन पेश करने को कहा है. जिसके लिए एक कमेटी का गठन करने के आदेश दिए गए हैं.promoted teachers In Chhattisgarh
कोरबा :छत्तीसगढ़ में कई शिक्षकों की समस्याएं प्रमोशन मिलने पर भी जस की तस बनीं हुई हैं. आदेश में शिक्षकों को प्रीवियस स्कूल में ज्वाइन करते हुए उनके वेतन संबंधी मामलों का निराकरण करने की बात कही गई है. लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों की ज्वाइनिंग नहीं हो रही है. शिक्षक संघ के पदाधिकारी हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देकर सीधे स्कूल में ज्वाइन करने की बात कह रहे हैं. लेकिन अधिकारी अब भी प्रीवियस स्कूल किसे कहा गया है ये समझ नहीं पा रहे. अधिकारी उच्च कार्यालय से मार्गदर्शन मांग रहे हैं, और शिक्षक बिना सैलरी के भटक रहे हैं. क्योंकि शिक्षकों को ज्वाइनिंग नहीं मिली है. ऐसे में अब दिवाली भी बिना सैलरी के कटने वाली है.पिछले 2 महीनों से ऐसे शिक्षकों को सैलरी भी नहीं मिली है.
क्या है प्रमोशन के नियम ?:नियमों के अनुसार शिक्षा विभाग में शिक्षकों को प्रत्येक 7 साल में प्रमोशन दिया जाना चाहिए. मौजूदा मामला सहायक शिक्षक से शिक्षक और प्रधान पाठक के पद पर प्रमोशन का है. प्रमोशन प्राप्त करने वाले कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें 7 साल में प्रमोशन नहीं मिला. उनका नंबर 20 साल बाद लगा है. लेकिन जब लगा तब पूरा मामला ही फंस गया. क्योंकि विभाग ने पोस्टिंग में संशोधन आदेश निरस्त कर दिया. आदेश निरस्त होने के बाद शिक्षक हाईकोर्ट चले गए.लेकिन हाईकोर्ट में जाने और नए स्कूल में ज्वाइनिंग ना होने के कारण शिक्षकों को सैलरी नहीं मिली.
पांच संभागों में की गई काउंसलिंग :ऐसे में वरिष्ठता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद राज्य के सभी संभाग मुख्यालय में काउंसलिंग का आयोजन किया गया. 29 मार्च 2023 को ही इस काउंसलिंग का आयोजन हुआ. बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, सरगुजा और बस्तर के संभाग मुख्यालय में काउंसलिंग हुई. यहां शिक्षकों को स्कूल चुनने का अवसर दिया गया. लेकिन विकल्प में सिर्फ ऐसे स्कूल शिक्षकों का समक्ष प्रदर्शित किए गए, जो की बेहद बीहड़ और वनांचल क्षेत्र में थे. शहर और अपेक्षाकृत बेहतर स्थान पर स्थापित स्कूलों के नामों को नहीं रखा गया. जिसका विरोध हुआ.
क्यों दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में हुई पदस्थापना ? :संभाग मुख्यालय के जॉइंट डायरेक्टर्स ने कहा कि सबसे पहले एकल शिक्षकीय और शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में पदस्थापना की जानी है. इसलिए ऐसा किया गया, शासन के निर्देशों के तहत एक काउंसलिंग की जा रही है. स्कूलों का विकल्प नहीं चुनने पर शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिलता. इसलिए मजबूरी में शिक्षकों ने किसी न किसी स्कूल को चुना और प्रमोशन लिया. काउंसलिंग में जिन स्कूलों का विकल्प शिक्षकों ने चुना था. यही उनकी मूल पदस्थापना थी.
10 दिन में जारी किए गए सैकड़ों संशोधन आदेश :मूल पदस्थापना के पोस्टिंग से असंतुष्ट शिक्षकों ने पोस्टिंग में संशोधन का अनुरोध किया. नियमों के अनुसार पोस्टिंग में संशोधन किया जा सकता है. लेकिन जिन स्कूलों में पोस्टिंग किया जा रहा है. वहां पद रिक्त होना चाहिए. जॉइंट डायरेक्टर ने इसके लिए समय सीमा तय कर दी. पोस्टिंग में संशोधन चाहने वाले शिक्षकों को आवेदन पेश करने के लिए 10 से 15 दिन का समय दिया गया. प्रमोशन के लिए काउंसलिंग के माध्यम से शिक्षकों को पोस्टिंग के बाद सैकड़ों शिक्षकों ने विभाग से पोस्टिंग में संशोधन का निवेदन किया.
संशोधित पदस्थापना का आदेश हुआ जारी :प्रदेश के सभी संभाग मुख्यालयों में पदस्थ ज्वाइंट डायरेक्टर्स ने पोस्टिंग में संशोधन कर 2723 संशोधित पदस्थापना आदेश जारी किया. शिक्षकों ने पोस्टिंग में संशोधित आदेश के तहत संशोधित पदस्थापना वाले स्कूलों में ज्वाइन कर लिया. क्योंकि आदेश में ऐसा निर्देश था कि संशोधित शाला में ज्वाइन करने के लिए 10 दिन का ही समय है ऐसा नहीं करने पर प्रमोशन को निरस्त माना जाएगा. इसके बाद शिक्षकों को संशोधित शाला से ही 3 महीने तक सैलरी भी मिली.
4 सितंबर को शासन ने संशोधित पदस्थापना वाले आदेश को निरस्त किया :इसके बाद 4 सितंबर 2023 को राज्य शासन ने यह कहते हुए संशोधन पोस्टिंग आदेश को निरस्त कर दिया की, पोस्टिंग में संशोधन किए जाने के लिए व्यापकता पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है. पोस्टिंग में संशोधन आदेश जारी करने के लिए पैसों का लेनदेन किया गया है. संभाग मुख्यालय के जॉइंट डायरेक्टर्स को सस्पेंड भी कर दिया. इसे लेकर विभाग में हड़कंप मच गया यह सब तब हुआ जब सरकार ने मंत्रालयों में फेरबदल किया और शिक्षा मंत्रालय कांग्रेस के कद्दावर मंत्री रविंद्र चौबे ने संभाला.
संशोधन पदस्थापना निरस्त होने से शिक्षक हुए परेशान :रविंद्र चौबे के शिक्षा मंत्रालय संभालने के बाद ही विभाग में यह सब शुरू हुआ था. संशोधित पोस्टिंग आदेश निरस्त होने के बाद शिक्षकों में निराशा छा गई. इस आदेश के तहत शिक्षा विभाग में सभी जिलों में पदस्थ ऐसे शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया गया. संशोधित शाला से कार्यमुक्त करने के बाद शिक्षकों से कहा गया कि वे अपने मूल पदस्थापना वाले स्कूल में जाकर अपनी ज्वाइनिंग दें. लेकिन शिक्षक मूल पदस्थापना में नहीं जाना चाहते थे. इसके कारण ही उन्होंने पोस्टिंग में संशोधन कराया था.
शिक्षकों ने ली हाई कोर्ट की शरण :शासन के इस निर्देश से नाराज सैकड़ों शिक्षकों ने तत्काल हाईकोर्ट की शरण ली. इस मामले को लेकर 11 और 13 सितंबर 2023 को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. राज्य सरकार और याचिकाकर्ता शिक्षकों का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सितंबर में ही यथास्थिति मेंटेन करने को कहा. लेकिन तब तक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को रिलीव कर दिया था. शिक्षक न तो काउंसलिंग में चुने गए मूल स्थान पर ज्वाइन कर पाए, ना ही मूल पदस्थापना में संशोधन कर किए गए संशोधित शाला में ही उन्हें रहने दिया गया. उनकी स्थिति त्रिशंकु जैसी हो गई, उनकी सैलरी लटक गई है. अब तक ऐसे सभी शिक्षकों की सैलरी का भुगतान विभाग ने नहीं किया है.
हाईकोर्ट ने निरस्त किया राज्य शासन का आदेश :इसके बाद बीते 3 नवंबर को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा. इसके बाद हाई कोर्ट ने अब विस्तृत आदेश वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया है. शिक्षकों की इस याचिका को पूरी तरह से निराकृत कर दिया है. हाई कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा जारी किए गए पोस्टिंग में संशोधन आदेश निरस्त करने वाले आदेश को निरस्त कर दिया. शिक्षकों को अभिवेदन पेश करने के भी आदेश दिए गए हैं शासन स्तर पर एक कमेटी का गठन करने का आदेश भी हाईकोर्ट ने दिया है शिक्षकों के अभिवादन के आधार पर अब कमेटी व्यक्तिगत आवेदनों पर निर्णय लेगी. जानकारों का कहना है जब वह आदेश ही निरस्त हो गया जिसके तहत शिक्षकों को संशोधित शालाओं से कार्य मुक्त किया गया था. तक़ब् ऐसी स्थिति में शिक्षकों को संशोधित शाला में ही ज्वाइन करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
प्रीवियस स्कूल का क्या है मतलब ? :हाईकोर्ट में सैकड़ों शिक्षकों की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने हाईकोर्ट के आदेश को स्पष्ट किया है. उन्होंने कहा है कि शासन के पोस्टिंग में संशोधन को निरस्त करने वाले आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त किया है. इसका मतलब यह हुआ कि शिक्षक संशोधित शाला में ही ज्वाइन करेंगे. उनका वेतन यहीं से निकलेगा, जिस स्थान से उन्होंने अंतिम बार सैलरी प्राप्त की थी वही उनका प्रीवियस स्कूल कहलाएगा. शिक्षकों को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन भी पेश करना होगा.
हाई कोर्ट के आदेश का किया जाएगा पालन: इस बारे में कोरबा जिला के जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भारद्वाज का कहना है कि हाईकोर्ट ने पोस्टिंग में संशोधन आदेश को निरस्त किया है. इसकी जानकारी मिली है. इसके तहत ही कार्रवाई की जा रही है. हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा. शिक्षकों की सैलरी भी बनेगी, किसी को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी.
पोस्टिंग में संशोधन आदेश से कितने शिक्षक हुए प्रभावित
संभाग
शिक्षकों की संख्या
बिलासपुर
799
रायपुर
543
दुर्ग
438
सरगुजा
385
बस्तर
558
कुल
2723
शिक्षकों को अभी भी नहीं मिल रही है ज्वाइनिंग :हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब तक शासन का कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है.जिसमें इस बात का उल्लेख हो कि शिक्षक कहां ज्वाइन करेंगे. और उनकी सैलरी का निराकरण कैसे होगा. अधिकारी अब भी कंफ्यूजन में हैं. हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब शिक्षक स्कूल जा रहे हैं. तो प्रधान पाठक उन्हें विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पास भेज रहे हैं. लेकिन विकासखंड शिक्षा अधिकारी भी उन्हें ज्वाइनिंग नहीं दे रहे हैं. शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से भी कुछ स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है. इन सभी कारणों से शिक्षकों की सैलरी अब भी लटकी हुई है. ऐसे प्रदेश के ऐसे सैकड़ों शिक्षकों की दिवाली बिना सैलरी के ही कटेगी ये तय है.
पहले हुए कार्यमुक्त,अब नहीं मिल रही ज्वाइनिंग :इस पूरे मामले मेंशिक्षक संघ के कार्यकारी प्रांत अध्यक्ष ओपी बघेल का कहना है कि पहले तो राज्य शासन ने पोस्टिंग में संशोधन आदेश को निरस्त कर दिया. तब प्रधान पाठकों ने बीईओ और डीईओ के निर्देश शिक्षकों को नियम विरुद्ध एक तरफा रिलीव कर दिया. बिना सोचे समझे कि उनकी सैलरी कहां से आएगी. अब जब हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के आदेश को निरस्त किया है,वहीं अब शिक्षकों को ज्वाइनिंग नहीं दी जा रही. प्रीवियस स्कूल का मतलब संशोधित शाला ही है. हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है. लेकिन विभाग कभी भी शिक्षकों के हित में कार्य नहीं करता. हमारे शिक्षक लगातार परेशान हो रहे हैं.