कोरबा:बीईओ कार्यालय में तनावग्रस्त लिपिक श्याम कुमार मानसर ने 7 जुलाई को काम के दौरान जहर खा लिया था. शुक्रवार दोपहर श्याम कुमार की इलाज के दौरान मौत हो गई. क्लर्क की मौत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है. इसी ऑफिस में कुछ दिन पहले गणवेश (स्कूल यूनिफॉर्म) घोटाला उजागर होने के बाद एक बाबू को सस्पेंड किया गया था.
जानकारी के अनुसार बीईओ कार्यालय कोरबा में श्याम कुमार मानसर सहायक ग्रेड 3 (लिपिक)के पद पर पदस्थ था. उसके पास शिक्षाकर्मी और छात्रवृति शाखा थी. पिछली 7 जुलाई को लिपिक हर दिन की तरह ऑफिस गया हुआ था. दोपहर करीब एक बजे उसने कीटनाशक पी लिया. जहर सेवन के कुछ देर बाद वो जमीन पर गिर पड़ा. हड़बड़ाए सहकर्मियों और बीईओ ने उसे इलाज के लिए निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था.
सुर्खियों में क्यों है छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के दौरान खोली गई ये पुलिस चौकी ?
लिपिक की हालत में सुधार न आता देख देर रात उन्हें अपोलो बिलासपुर रेफर कर दिया था. आक्सीजन सपोर्ट पर होने के बावजूद उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी. शरीर में अधिक फैलने की वजह से शुक्रवार इलाज के दौरान क्लर्क की मौत हो गई.
एक फोन कॉल की भी चर्चा
इस प्रकरण में एक फोन कॉल की भी चर्चा है. जानकारी यह भी है कि श्याम कुमार मानसर ने म्यूचुअल फंड के साथ ही शेयर मार्केट में पैसे लगाए थे. जिसके लिए उन्होंने लाखों रुपए मार्केट से उधार पर लिए थे. अब यह पैसे वापस नहीं मिल रहे, जबकि लेनदार उसे लगातार परेशान कर रहे थे. इस सिलसिले में 7 जुलाई को कार्यालय समय में ही मानसर को किसी दलाल का फोन आया था, जो कि उससे पैसों की मांग कर रहा था. जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया.
पैसे नहीं मिलने के कारण उठाया गया कदम: BEO
अधिकारियों ने ऑफिस के काम और तनाव से इनकार किया है. इस संबंध में बीईओ संजय अग्रवाल का कहना है कि लिपिक पर किसी तरह का कोई विभागीय काम का बोझ नहीं था. कार्यालय में पारिवारिक माहौल है. मुझे यह जानकारी है कि मानसर ने म्यूच्यूअल फंड और इसी तरह के कई स्थानों पर पैसों का निवेश किया था. यह पैसे उन्होंने मार्केट से उधार लिए थे. निवेश के बाद मुनाफा नहीं हुआ ना ही वह पैसे उसे वापस मिले. लेनदार उसे लगातार परेशान कर रहे थे. जिस दिन लिपिक ने जहर खाया था, उस दिन भी उसे किसी का फोन आया था, जो रुपयों की डिमांड कर रहा था.