कोरबा: कोरोना ने शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार के साथ कई गतिविधियों को काफी प्रभावित किया है. लोगों की आम दिनचर्या के साथ अब तमाम विभागीय काम भी प्रभावित हो रहे हैं. पुलिसिंग (Policing) पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. बढ़ते संक्रमण के कारण पुलिसकर्मी आरोपियों को गिरफ्तार करने में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं.
कानून व्यवस्था बनाये रखते हुए लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने की पूरी जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर है. कोरोना संक्रमण काल में डॉक्टर के बाद अगर कोई सबसे आगे खड़ा है, तो वह पुलिस के जवान ही हैं. आम दिनों में आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर सामान्य तौर पर जितनी कार्रवाई होती थी, कोरोना काल में उसमें गिरावट दर्ज की जा रही है. हाल ही में जिले के कटघोरा थाना क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया. जहां कंटेनमेंट जोन घोषित किए गए क्षेत्र में एक आरोपी के खिलाफ FIR (First information report) दर्ज किया गया, लेकिन आरोपी सर्वाधिक संक्रमित क्षेत्रों में रह रहा था इसलिए उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई. पुलिस के सामने भी ऐसे केसेस में असमंजस की स्थिति है.
बेवजह घूमने की शिकायत
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए कटघोरा थाना के नागोई बछेरा गांव को 15 अप्रैल से ही माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. यहां रहने वाले लोगेंद्र कुमार पटेल के खिलाफ बेवजह गांव में घूमने की शिकायतें मिल रही थी. जिसपर पुलिस ने पहले उसे समझाया लेकिन आरोपी नहीं माना. इसके बाद पंचायत सचिव रविंद्र की रिपोर्ट पर कटघोरा थाने में आरोपी लोगेंद्र के खिलाफ धारा 188, 269 और 270 भारतीय दंड विधान और महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है. हालांकि ज्यादा संक्रमित क्षेत्र से आने के कारण आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.
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कुछ केस में प्रोटोकॉल के तहत गिरफ्तारी
संक्रमण की रफ्तार जिले में काफी तेज हो चुकी है. लगातार लोग संक्रमित होते जा रहे हैं. ऐसे में पुलिस कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है. गिरफ्तार किए गए आरोपी की सबसे पहले कोरोना जांच की जाती है. इसके बाद ही आगे की वैधानिक कार्रवाई होती है. वैधानिक कार्रवाई के बाद न्यायालय और जेल दाखिल करने के पहले एक बार फिर आरोपियों की कोरोना जांच की जाती है.