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कोरबा में कोरोना और खराब मौसम ने तेंदूपत्ता संग्राहकों की बढ़ाई चिंता

कोरबा में तेंदूपत्ता संग्राहकों पर इस बार तिहरी मार पड़ी है. जंगल में हाथियों की मौजूदगी के अलावा कोरोना और लॉकडाउन की दुश्वारियों और मौसम की मार ने इस बार तेंदूपत्ता के संग्रहण में लगे ग्रामीणों के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. हालात ऐसे हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल लक्ष्य से आधा तेंदूपत्ता ही संग्रहण हो सका है. लक्ष्य प्राप्त करना भी अब बेहद कठिन है.

tendu leaf
तेंदूपत्ता

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Published : May 15, 2021, 11:00 PM IST

कोरबा: कोरबा वन मंडल के वनांचल क्षेत्र लेमरू में एक तरफ जहां हाथी रिजर्व बनने जा रहा है. वहीं लेमरू की एक और खूबी है, जिसके लिए वह देश भर में प्रख्यात है. लेमरू और उसके आसपास जंगलों में देश के सर्वोत्तम क्वालिटी का तेंदूपत्ता (tendu leaf) पाया जाता है. लेमरू में पाए जाने वाले तेंदूपत्ता की ख्याति देश भर में है. पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के ठेकेदार 4 महीने पहले ही लेमरू के तेंदूपत्ता की ऊंची बोली लगाकर इसे खरीद कर लेते हैं. संग्रहण के पश्चात जब तेंदूपत्ता को ठेकेदार खरीदकर भुगतान करते हैं. तब वनांचल क्षेत्र में बसने वाले ग्रामीणों को अतिरिक्त बोनस भी मिलता है. लेकिन इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्राहकों पर तिहरी मार पड़ी है. जंगल में हाथियों की मौजूदगी के अलावा कोरोना और लॉकडाउन की दुश्वारियों और मौसम की मार ने इस बार तेंदूपत्ता के संग्रहण में लगे ग्रामीणों के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. हालात ऐसे हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल लक्ष्य से आधा तेंदूपत्ता ही संग्रहण हो सका है. लक्ष्य प्राप्त करना भी अब बेहद कठिन है.

कोरबा में कोरोना और खराब मौसम ने तेंदूपत्ता संग्राहकों की बढ़ाई चिंता

बढ़े हुए दाम से ही इस बार भी होगी खरीदी

राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भूपेश सरकार ने तेंदूपत्ता का दाम ढाई सौ से बढ़ाकर 400 रुपए प्रति सैकड़ा कर दिया था. इस वर्ष भी 400 रुपए प्रति सैकड़ा के दाम से ही ग्रामीणों से तेंदूपत्ता की खरीदी की जा रही है. तेंदूपत्ता संग्रहण कर इसे बोरे में पैक करने तक ग्रामीण काफी मशक्कत करते हैं. ग्रामीण तेंदूपत्ता की गड्डी तैयार करते हैं. एक गड्डी में 50 तेंदूपत्ता को बांधा जाता है. जिसके बाद इन्हें बोरी में भरा जाता है. इनका मूल दाम 4000 रुपए प्रति मानद बोरा तय किया गया है. एक मानक बोरे में 1000 गड्डी तेंदूपत्ता पैक किया जाता है. 4000 रुपए प्रति मानक बोरी की दर से तेंदूपत्ता संग्राहकों को सरकार की ओर से भुगतान किया जाता है.

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फड़ों में होता है तेंदूपत्ता का संग्रहण

ग्रामीण जंगलों से तेंदूपत्ता तोड़ने के बाद इसे फड़ लेकर आते हैं. अलग-अलग फड़ मिलकर तेंदूपत्ता संग्रहण करते हैं. फिर वन समितियों के माध्यम से इन्हें वन विभाग की ओर से पंजीकृत ठेकेदार खरीद लेते हैं. जिसकी ऑनलाइन बोली तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू होने के 4 महीने पूर्व ही लगाई जाती है. लेमरू के तेंदूपत्ता की सर्वाधिक महंगी बोली 4000 प्रति मानक बोरा का भुगतान सरकार संग्राहकों को करती है, लेकिन जब प्रति मानक बोरा की बोली ठेकेदार लगाते हैं, तब बेहतरीन क्वालिटी के लिए यह काफी ज्यादा रहती है.

मैसर्स व्यास एंड कॉरपोरेशन ने लगाई सबसे ज्यादा बोली

लेमरू में प्रति मानक बोरा के लिए इस वर्ष 9 हजार 399 प्रति मानक बोरा की बोली मैसर्स व्यास एंड कॉरपोरेशन ने लगाई है. लेमरू में कुल 2 हजार 200 मानक बोरी के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जिसके एवज में ठेकेदार की ओर से 2 करोड़ 67 लाख 7 हजार 800 रुपए का भुगतान वन समिति को किया जाएगा. लेकिन इस वर्ष मौसम, हाथी और लॉकडाउन की मुश्किलों के बीच यह लक्ष्य हासिल करना बेहद मुश्किल है. जिसका नुकसान तेंदूपत्ता संग्रहण में लगे ग्रामीणों को उठाना पड़ सकता है.

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जितनी अधिक बोली, ग्रामीणों को उतना अधिक बोनस

सरकार की ओर से ग्रामीणों को 4000 प्रति मानक बोरा के दर से तत्काल भुगतान कर दिया जाता है. जब ठेकेदार इन मानक बोरियों को पूर्व में लगाई गई बोली के आधार पर खरीद कर भुगतान कर देते हैं. बोनस देने का गणित कुछ यूं है. फड़ के संचालन और समितियों के प्रबंधन में खर्च हुई राशि का खर्चा काटने के बाद बोनस तय किया जाता है. इसमें सरकार की ओर से भुगतान और ठेकेदार की ओर से लगाई गई बोली के बीच में अंतर की राशि को ही बोनस के तौर पर संग्राहकों को भुगतान किया जाता है. जिस समिति के तेंदूपत्ता की जितनी अधिक बोली लगाकर ठेकेदार खरीदते हैं. उस वन समिति के संग्राहकों को उतना ही अधिक बोनस प्राप्त होता है. लेकिन इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य हासिल करने में कठिनाई होने के कारण संग्राहकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

87 समितियों को 1 लाख 28 हजार मानक बोरे का लक्ष्य

वित्तीय वर्ष 2021 के लिए कोरबा और कटघोरा वन मंडल को मिलाकर जिले की 87 वन समितियों को 1 लाख 28 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है. जिले में तेंदूपत्ता की ख्याति इस बात से समझी जा सकती है कि 87 में से 37 समितियों के तेंदूपत्ता के लिए पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के ठेकेदारों ने बोली लगाई है. जिले में 84 हजार संग्राहक परिवार तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य मिलकर करते हैं. तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य 1 मई से शुरू होकर अधिकतम 20 मई तक ही किया जाता है.इसके बाद पत्तों कि तुड़ाई बंद कर दी जाती है.

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