कोरबा: चिटफंड कंपनियों में रकम दोगुना करने की लालच में आकर लोगों ने जीवन भर की जमा पूंजी का निवेश कर दिया. इसके बाद पता चला कि, जहां उन्होंने रकम निवेश किया है. वह ठगों की कंपनी है, लेकिन तब तक लोगों की जमा पूंजी गोल हो चुकी थी. लगभग एक दशक से चिटफंड का मकड़जाल पूरे प्रदेश में फैला है. एजेंटो ने घूम-घूम कर गली कूचों में लोगों से पैसे वसूले. उन्हें ब्याज के तौर पर रकम डबल करने का सब्जबाग दिखाया और उनके जीवन भर की जमा पूंजी को ठग लिया.
15 साल के बीजेपी शासन के बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने चिटफंड में डूबी राशि वापस दिलाने का वादा लोगों से किया था. जन घोषणा पत्र में भी इस मुद्दे को शामिल किया गया था. अब नए सिरे से लोगों से आवेदन मंगवाए गए हैं. आवेदन जमा करने लोगों की भीड़ लगी रही. कोरबा के सभी तहसीलों को मिलाकर 89 हजार से अधिक लोगों ने पैसे वापसी के लिए आवेदन दिया है. जिससे यह बात तो स्पष्ट है कि चिटफंड कंपनियों ने अकेले कोरबा जिले में 89 हजार से अधिक लोगों को चूना लगाया है.
चिटफंड में लाखों गवाने के बाद रकम वापसी की उम्मीद में कलेक्टोरेट में जमा हुए ग्रामीण
रकम वापसी के लिए 89 हजार से ज्यादा आवेदन हुए जमा
जिले के चिटफंड या अनियमित वित्तीय कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों से 89 हजार 58 आवेदन प्राप्त हुए हैं. राज्य शासन के निर्देश पर चिटफंड कंपनियों से राशि वापसी के लिए पीड़ितों से जिला प्रशासन द्वारा आवेदन मंगाये गये थे. शूरू में 2 से 6 अगस्त 2021 तक आवेदन मंगाए गये थे. पहले केवल जिला कार्यालय में आवेदन लिए जा रहे थे. निवेशकों की बढ़ती संख्या देख और उनकी सहूलियत के लिए सभी तहसीलों में भी आवेदन लेने की व्यवस्था शुरू की गई.
चिटफंड पीड़ितों की सुविधा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 20 अगस्त किया गया था. कोरबा जिले में चिटफंड कंपनियों से राशि वापसी के संबंध में अंतिम तिथि तक कुल 89 हजार 58 आवेदन प्राप्त हुए हैं. चिटफंड पीड़ितों से सबसे अधिक 46 हजार 440 आवेदन जिला कार्यालय में प्राप्त हुए हैं. सबसे कम 3 हजार 413 आवेदन तहसील करतला में प्राप्त हुए हैं.