कोरबा: कटघोरा वन मंडल के केंदई वन परिक्षेत्र में इस साल अक्टूबर में अब तक 2 बेबी एलीफेंट की मौत हो चुकी है. इससे वन विभाग सकते में है. लगातार हाथियों की मौत की खबर के बाद मंगलवार को सीसीएफ (Chief Conservator of Forests) अनिल सोनी कटघोरा पहुंचे थे. जहां उन्होंने कटघोरा वन मंडल के डीएफओ समेत जिले के आधा दर्जन वन मंडलाधिकारियों की 8 घंटे तक मैराथन बैठक ली.
2 बेबी एलीफेंट की मौत का मामला सीसीएफ अनिल सोनी इस घटना के बाद से 2 दिन से कटघोरा वन मंडल में डटे रहे. अनिल सोनी हाथियों की मौत पर लगातार बैठक भी ले रहे हैं. अनिल सोनी राज्य कैम्पा के तहत आयोजित होने वाला वार्षिक संचालन योजना के तहत लगातार अधिकारियों से इसकी जानकारी ले रहे हैं. बैठक में आने वाले वर्षों के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है.
सरकार को भेजा जाएगा प्लान
सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) अनिल सोनी ने बताया कि बैठक एपीओ 'एनुअल प्लानिंग ऑपरेशन' से संबंधित है. हर साल केंद्रीय कैम्पा की तरफ से राज्य कैम्पा की बैठक होती है. इसके तहत वे आगामी दो वर्षों के लिए वन्यप्राणी के वन्य संसाधनों के संरक्षण और निर्माण कार्यों के लिए कार्ययोजना तैयार करते हैं. बैठक के प्रस्तावों को राज्य शासन को भेजा जाता है, जहां से उसे केंद्र को भेजा जाता है. केंद्र में उसे प्रस्ताव स्टेयरिंग कमेटी के माध्यम से पास किया जाता है. इस तरह सरकार के वन बजट के अप्रूवल के लिए मंगलवार को बिलासपुर वृत्त के वन मंडल अफसरों की यह अहम बैठक कटघोरा में आयोजित की गई थी.
हाथी की मौत दुखद
सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) अनिल सोनी ने बेबी एलीफेंट की मौत पर अफसोस जताते हुए कहा कि पिछले दिनों दो मौतें हुई है, लेकिन इन्हें लगातार मौत नहीं कहा जाना चाहिए. दोनों ही मौत एक समान परिस्थितियों में हुई है. बेबी एलीफेंट की मौत पानी में डूबने से हुई है. पहली मौत में शव के पोस्टमार्टम के दौरान वे खुद मौजूद थे. रिपोर्ट में हाथी के फेफड़ों में पानी घुसने की पुष्टि हुई थी. जबकि दूसरे शव का पोस्टमार्टम पूरा कर लिया गया है. जिसकी रिपोर्ट लंबित है. उनका मानना है कि दोनों ही मौत प्राकृतिक थे. जहां तक उनके बचाव का सवाल है तो इस तरह के हालात में हाथी अपने न्यू बोर्न बेबी को सुरक्षित घेरे में रखते हैं, जिससे उनतक मानवीय मदद असंभव है. उनकी ट्रैकिंग टीम के लिए हाथी के बच्चों का लोकेशन ट्रैस कर पाना मुश्किल होता है.
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एलीफेंट रिजर्व में जुड़ेंगे नए क्षेत्र
लेमरू एलीफेंट रिजर्व पर सीसीएफ ने बताया कि प्रस्ताव में कोई खास संशोधन नहीं किया गया है, लेकिन शासन को इस बात की जानकारी दी गई है कि एलीफेंट रिजर्व में शामिल गांवों के अलावा कुछ अन्य क्षेत्र भी हैं, जो वन्यप्राणियों से प्रभावित हैं. उन्हें भी रिजर्व में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया है. लेमरू एलीफेंट रिजर्व परियोजना शासन की महत्वकांक्षी कार्ययोजना है. इसका कुल फैलाव में 195 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें जशपुर का बादलखोल अभयारण्य, बलरामपुर का तमोरपिंगला, सूरजपुर का सेमरसोत और कोरबा जिले का लेमरू वन क्षेत्र शामिल है. हाथियों के लिए इस रिजर्व फॉरेस्ट में चारा पानी की व्यवस्था होगी, जिससे हाथी यहीं रहेंगे बाहर नहीं जाएंगे.
सतरेंगा की बढ़ेगी ख्याति
सतरेंगा वन पर्यटन पर चर्चा के दौरान मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि यह एक संयुक्त परियोजना है. जिसमें वन विभाग के अलावा जिला प्रशासन और दूसरे विभागों की सहभागिता है. वन विभाग ने भी वहां कई कार्य कराये हैं. पहले उसका लोकार्पण नहीं हो सका था. पर्यटन के लिहाज से वहां सुविधाएं बढ़ाई जा रही है. ज्यादातर कार्य अधोसंरचना निर्माण का था. इसके अलावा वाटर बोट भी उपलब्ध कराया गया है.