कोंडागांव: जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बड़े कनेरा की महिलाएं बिहान योजना से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिलाओं को सशक्त, सबल और स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका बेहतर क्रियान्वयन से महिलाओं को इसका लाभ भी मिल रहा है.
गोबर के दीये बनाती महिलाएं इसी कड़ी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने बड़े कनेरा गांव में 15 से 20 महिलाओं के समूह को गोबर के पाउडर से ईको फ्रेंडली दीये बनाने की ट्रेनिंग दी है. ये महिलाएं दीए के साथ और भी कई चीजें बनाती हैं.
बनकर तैयार गोबर के दीये और आकर्षक सामान ऑर्डर के साथ बढ़ेगी दीयों की सप्लाई
ग्रामीण महिलाएं इस काम से काफी उत्साहित हैं और घर के काम और खेती-किसानी करने के बाद इसके लिए अतिरिक्त समय निकालकर यहां गोबर से अलग-अलग सामानों का निर्माण कर रही हैं.
महिलाओं ने बताया कि इस दिवाली में ज्यादा से ज्यादा दीयों की बिक्री का अनुमान है. फिलहाल एक दीये की कीमत 5 रुपए रखी गई है. जैसे-जैसे ऑर्डर और सप्लाई बढ़ेगी तो इसकी कीमत में भी कमी आएगी.
दीये बनाने की शुरूआती प्रक्रिया लगातार मेहनत करती हैं महिलाएं
जिला पंचायत CEO नूपुर राशि पन्ना ने बताया कि, “अभी अलग-अलग समूहों की 15 से 20 महिलाएं इस योजना से जुड़ी हैं. दंतेवाड़ा से अभी लगभग 4000 दीए बनाकर सप्लाई करने का ऑर्डर आया है जो पूरा भी हो चुका है.”
आर्गेनिक खाद भी बना रहीं महिलाएं
CEO ने बताया कि, 'महिला समूह द्वारा दीये और दूसरी सामग्रियों के साथ-साथ आर्गेनिक खाद का निर्माण भी किया जा रहा है. दूसरी कई योजनाओं को शुरू करने पर विचार किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं योजनाओं का लाभ लेकर बेहतर आय अर्जित कर जीवन यापन कर सकें.'
ये है बनाने की विधि
- इन दीयों को बनाने में गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स (मुल्तानी मिट्टी और गोंद) का उपयोग किया जाता है.
- गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स को पानी में मिलाकर कड़ा मिश्रण बनाया जाता है.
- मिश्रण तैयार हो जाने के बाद इसकी छोटी लोई बनाकर इसे दीया बनाने वाले विशेष सांचे में ढाल दिया जाता है.
- सांचे से बने हुए दीये को बाहर निकालकर धूप में सुखा दिया जाता है.
- दीयों के सूख जाने के बाद इनका रंग-रोगन कर इन्हें खूबसूरत ईको फ्रेंडली दीये का रूप दे दिया जाता है.