कोंडागांव : हिन्दू धर्म में वट सावित्री के व्रत का खास महत्व है. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना कर अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. इस साल भी लॉकडाउन के बीच महिलाओं ने ये व्रत रखा और अपने पति की लंबी आयु और सेहत के लिए प्रार्थना की. महिलाओं ने देश से जल्द ही कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म हो जाए, ये कामना भी की. इसके साथ ही परिवार की सुख-शांति के लिए उन्होंने वट सावित्री की पूजा की.
शुक्रवार को कोंडागांव की महिलाओं ने दिनभर उपवास रखा और वटवृक्ष की पूजा करती हुई नजर आईं. इस व्रत में महिलाओं ने बरगद पेड़ के चारों ओर घूमकर रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांग. वहीं सुहागनों ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर पति की लंबी उम्र की कामना की.
शांति का प्रतीक
वट सावित्री व्रत का महत्व दार्शनिक दृष्टि से भी है. दरअसल लंबी और अमरत्व बोध के साथ ही वट वृक्ष ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि भगवान बुद्ध को इसी बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान मिला था. यही वजह है कि वट वृक्ष को पति की लंबी उम्र के लिए पूजना इस व्रत का अंग बना. महिलाएं व्रत रखकर पूजा करने के साथ-साथ वट वृक्ष के चारों तरफ परिक्रमा करते हुए सूत लपेटती हैं.
पुराणों के मुताबिक ये है मान्यताएं
वट सावित्री व्रत में 'वट' और 'सावित्री' दोनों का खास महत्व माना गया है. पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है. पुराणों की मानें तो वट वृक्ष मतलब बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. माना जाता है कि वट सावित्री के व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत करने और कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस व्रत में महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं.