कोंडागांव\केशकाल: बच्चे को खोने का दर्द उस मां से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता, जिसने नौ महीने के बच्चे को कोख में तो रखा पर, उसे गोद में उठा नहीं पाई. कोरोना महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. प्रदेश में कोविड-19 के लगातार फैलते संक्रमण ने सभी शासकीय और निजी शैक्षणिक संस्थानों पर ताला लगा दिया है. कोरोना के केस सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते जा रहे हैं. इसके साथ ही यह माहामारी लोगों की नौकरियां भी तेजी से लील रही है. तो कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने नौकरी के साथ-साथ अपनों को भी खो दिया है. इन्ही बदनसीबों में से एक हैं केशकाल की विद्या मितान रेखा मंडल.
गर्भावस्था की हालत में नौकरी की तलाश में दर-दर भटकने की वजह से रेखा ने अपना बच्चा खो दिया है. आर्थिक और मानसिक समस्या से परेशान होकर रेखा ने रक्षाबंधन के अवसर पर मुख्यमंत्री को पत्र लिख अपनी समस्या बताते हुए नौकरी वापस दिलवाने की मांग की है. रेखा मंडल शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्या मितान के तौर पर सेवा दे रही थी. इस बीच विद्या मितान के स्थान पर शिक्षकों की नियुक्ति शुरू हुई, जिसके लिए रेखा मंडल ने गर्भावस्था के दौरान कई जिलों मे जाकर फार्म भरा और नौकरी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली. उन्होंने बताया कि इतनी मेहनत के बाद भी नौकरी तो मिली नहीं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान दर-दर भटकने की वजह से उसने अपना बच्चा भी खो दिया. बेरोजगारी ने रेखा को दर-दर भटकने को मजबूर कर दिया है.