कोंडागांव: नगर पालिका परिषद में सरकार की महत्वकांक्षी रोका-छेका अभियान के तहत गौठान में मवेशियों की चिंताजनक स्थिति को लेकर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर दिखाई थी. साथ ही हमारी टीम ने शासन-प्रशासन को मामले से अवगत कराया था. बावजूद इसके इलाज में लेट-लतीफी और अधिकारियों की लापरवाही के चलते आज एक मवेशी की मौत होने की खबर सामने आई है.
गौठान में एक मवेशी की मौत राज्य की कांग्रेस सरकार ने मवेशियों की सुरक्षा के लिए रोका-छेका अभियान की शुरुआत की है, लेकिन प्रदेश में इस योजना की बदहाली के कई तस्वीरें सामने आ चुकी है. कई गौठानों में मवेशियों की हालत बहुत ही खराब है. बीमार पड़े मवेशी भूखे-प्यासे दिनभर पड़े रहते हैं, लेकिन उनकी सूध लेने वाला कोई नहीं होता है. गौठानों में मवेशियों की बदहाली की तस्वीरें प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं पर पलीता लगा रही है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के कारणों का खुलासा
बता दें, ईटीवी भारत ने कुछ दिनों पहले ही नगर पालिका परिषद के गौठानों में बीमार मवेशियों की बदहाली के बारे में खबर चलाई थी. गौठान में अव्यवस्था की खबरें सामने आने के बाद नगर पालिका अध्यक्ष हेमकुवर पटेल और उपाध्यक्ष जासकेतु उसेंडी गौठान में निरीक्षण करने पहुंचे थे. इसके बावजूद सोमवार को गौठान में एक बछड़े की मौत का मामला सामने आया है. जिसके बाद नगर पालिका प्रशासन ने मृत बछड़े को पोस्टमार्टम के लिए भेजा. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ चुकी है, जिसमें बछड़े की मौत का कारण पेट में गैस भरना बताया जा रहा है.
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सूत्रों के हवालों से ये बड़ी खबर निकलकर सामने आई है कि बीते कुछ दिनों पहले दो मवेशियों की मौत हुई थी, जिसे प्रशासन द्वारा चुपाचाप ठिकाने लगाने की कोशिश की गई. मवेशियों को कहीं दफना दिया गया है. वहीं इस घटना पर नगर पालिका प्रशासन का कोई भी अधिकारी-कर्मचारी जानकारी देने से बच रहा है.
नगर पालिका और वेटनरी विभाग में तालमेल का अभाव
कहीं न कहीं नगर पालिका और वेटेनरी विभाग में आपसी तालमेल के अभाव में पशुओं को इलाज सही समय पर नहीं मिल पा रहा है. हालांकि वेटनरी डॉक्टरों ने कहा कि जब-जब जानकारी मिली है, वे तत्काल मौके पर उपचार हेतु उपलब्ध रहे हैं. वेटेनरी डॉ द्विवेदी ने बताया कि यह पहला मामला है, जब गौठान में मृत किसी मवेशी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. पीएम रिपोर्ट के मुताबिक बछड़े की मौत पेट में गैस भर जाने से हुई है.
नियमानुसार पशुओं को गोठानों तक लाने के बाद पहले पशु चिकित्सक से मवेशियों की जांच होनी चाहिए, ताकि किसी प्रकार के संक्रमण और बीमार पशुओं की पहले ही जानकारी सामने आ सके. साथ ही अन्य स्वस्थ्य पशुओं को भी बीमार होने से बचाया जा सके. पर सवाल अब ये उठता है कि अगर पशुओं की नियमित जांच अगर हो रही थी तो फिर बछड़े की मौत कैसे हुई.