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देश के 114 जिलों को पछाड़कर कोंडागांव ने रचा कीर्तिमान, 'नावा बेस्ट नार' में बना नंबर वन

देश के 115 पिछड़े जिलों को केंद्र सरकार ने विकास के श्रेणी में लाने के लिए एक योजना शुरु की थी, जिसमें कोंडागांव 'नावा बेस्ट नार' अभियान के तहत पहला स्थान

कोंडागांव ने रचा कीर्तिमान

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Published : Jul 18, 2019, 8:27 PM IST

कोंडागांव: कोंडागांव ने नया कीर्तिमान रचा है. देश के 114 जिलों को पछाड़कर 'नावा बेस्ट नार' में नंबर वन बना है. केंद्र सरकार ने देश के पिछड़े जिलों को चिन्हित कर एक अभियान चलाया था, जिसमें 114 पिछड़े जिलों को 'नावा बेस्ट नार' अभियान से जोडा गया. अभियान में सभी जिलों को बराबर सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, जिसमें कोंडागांव विकास रैकिंग में देश के 114 जिलों को पछाड़ते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है.

'नावा बेस्ट नार' में बना नंबर वन

बता दें कि कोंडागांव देश के सभी जिलों में सबसे पिछड़ा जिला था, जिसको केंद्र सरकार की नीति और कलेक्टर के नई पहल ने विकास के उंचाइयों तक पहुंचाया है. जिलें में हर समस्याओं को दूर करने की कोशिश की गई है, जिसमें ग्रामीणों को 'नावा बेस्ट नार' अभियान से जोड़ा गया और उनकी सभी समस्याओं को हल करने की कोशिश की गई है, जिसमें 'नावा बेस्ट नार' योजना कारगर साबित हुई है.

ग्रामीणों की मदद से बना नंबर वन
मामले में ETV भारत ने कोंडागांव की जनता और यहां के कलेक्टर से बात की. इस पर कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने कहा कि यहां की जनता, जनप्रतिनिधि, साथी अधिकरी और कर्मचारियों के साथ मिलकर जिले को नंबर वन की रैंकिंग तक पहुंचाया. कोंडागांव बहुत ही पिछड़ा जिला था. यहां विकास ने कभी पर नहीं फैलाया था, जिसको 'नावा बेस्ट नार' अभियान की मदद से देश में नंबर वन बना है.

311 गांवों को किया गया शामिल
कलेक्टर ने बताया कि गोंडी और अंग्रेजी भाषा से मिलकर बनी एक लाइन 'नावा बेस्ट नार' जिसका अर्थ होता है 'मेरा अच्छा गांव'. इसी तर्ज में कोंडागांव कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने जिले के सभी 311 गांव के विकास के लिए ग्रामीणों की एक कमेटी तैयार की, जिसमें गांव के ही लोगों को शामिल किया गया और इन सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो गांव से जुड़ी समस्याओं को समिति हर हफ्ते हल करती है.

ऐसे करते हैं समस्याओं का हल-

  • गांव की नई नवेली दुल्हन को पंचायत भवन में स्वागत कर तत्काल उसका नाम पंचायत में जोड़ना.
  • गर्भवती महिला को लगने वाले टीके, उसके प्रसव तक सभी जरूरी चीजों पर इस समिति की नजर रहती है
  • मितानिन से लेकर गांव के स्व सहायता समूह की प्रमुख भी शामिल है.
  • इसके अलावा गांव की सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र सभी विषयों पर यह समिति नजर रखती है
  • जिले से हटकर किये गए इस नए प्रयोग ने कहीं न कहीं कोंडागांव जिले को बाकियों से अलग कर आकांक्षित जिलों में नंबर वन बनाया है.

कुपोषण एक बड़ा मुद्दा
कलेक्टर ने बताया कि जिले में कुपोषण एक बड़ा मुद्दा है, जिसमें लगभग 19 हजार बच्चे कुपोषित पाए गए हैं, जिसमें से 6 हजार बच्चे अति गंभीर अवस्था में थे. इन बच्चों को एनआरसी और पुनर्वास केंद्र में देख-रेख की जा रही है. उन्होंने बताया कि हर 10 दिन में 150 से 200 बच्चों को विशेष देख-रेख में रखा जाता है और इनकी माताओं को भी जागरूक किया जा रहा है.

शासकीय योजनाओं घर-घर पहुंचाने का लक्ष्य
कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं को जिले के हर घर तक पहुचना लक्ष्य है. इसको लेकर सभी नोडल अधिकरियों को विशेष नज़र रखने को भी कहा गया है.

शहर के लोगों ने जाहिर की खुशी
आकांक्षित जिलों में नंबर वन आने पर जिले के लोगों ने भी खुशी जाहिर की है. लोगों ने जिले के प्रशासन, जनप्रतिनिधियों का भी शुक्रिया अदा किया. साथ ही देशभर के सभी 115 जिले को 2022 तक अन्य जिलों के बराबर लाने का लक्ष्य रखा गया है. बता दें कि नीति आयोग की रैंकिंग में दिसम्बर तक कोंडागांव देश में दूसरे नंबर पर था.

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