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ग्राउंड जीरो पर ETV भारतः डर के साए में 'नक्सलगढ़' की आबादी, देखिए ये रिपोर्ट - chhattisgarh

हमने घटनास्थल के आसपास का मुआयना किया तो पाया कि चारों तरफ सन्नाटा पसरा है. दूर-दूर तक कोई नहीं था. जेसीबी मालिक ने भी मीडिया में आने के पहले तक FIR नहीं दर्ज करवाई थी. यहां तक की घटना के 12 घंटे बाद भी जेसीबी में लगी आग बरकरार थी.

ग्राउंड जीरो पर ETV भारतः

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Published : May 13, 2019, 11:15 AM IST

कोंडागांवः मर्दापाल थाने क्षेत्र के मुंडीपदर ग्राम पंचायत में बीते शनिवार को नक्सलियों ने काफी उत्पात मचाया था. नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगे एक जेसीबी वाहन को आग के हवाले करने के साथ ही वहां मौजूद मजदूरों को भी बंधक बना लिया था. घटना के बाद ETV भारत की टीम ग्राउंड जीरो पहुंची, जहां हमने वर्तमान हालात का जायजा लिया.

ग्राउंड जीरो पर ETV भारत

चुनावी प्रक्रिया के दौरान बीते कुछ महीने से नक्सली गतिविधियों में काफी तेजी आई है. नक्सलियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.

"दोबारा यहां काम करने मत आना"
मुंडीपदर के पास सड़क निर्माण कार्य में लगे जेसीबी वाहन को आग के हवाले कर दिया और वहां मौजूद मजदूरों को भी बंधन बना लिया. हालांकि बाद में उन्हें कि "दोबारा यहां काम करने मत आना" कहते हुए हिदायत देकर छोड़ दिया. इसके बाद हड़ेली क्षेत्र में गश्त के दौरान ITBP और सुरक्षाबलों को हथियारों का जखीरा बरामद हुआ.

लोगों ने नहीं की बात
घटना के बाद ग्राउंड जीरो पर हमारी टीम पहुंची. हमने जब लोगों से बातचीत करनी चाही तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से साफ इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि, "साहब हमको यहीं जीना-खाना और रहना है, कुछ बोलेंगे तो आगे मुसीबत हो जाएगी"

हमने घटनास्थल के आसपास का मुआयना किया तो पाया कि चारों तरफ सन्नाटा पसरा है. दूर-दूर तक कोई नहीं था. जेसीबी मालिक ने भी मीडिया में आने के पहले तक FIR नहीं दर्ज करवाई थी. यहां तक की घटना के 12 घंटे बाद भी जेसीबी में लगी आग बरकरार थी.

नक्सलियों के लिए अनुकूल है ये क्षेत्र
बता दें कि कोण्डागांव से मर्दापाल होते हुए कोरमेल- लोहंडी गुड़ा-बारसूर और कूधुर होते हुए लोहंडी गुड़ा-बारसूर के रोड निर्माण का कार्य जोरों पर है. नक्सली नहीं चाहते हैं कि इस क्षेत्र का विकास हो और इस तरफ लोगों की आवाजाही बढ़े. सघन वन, नदी-नाले और सड़क न होने के कारण यह क्षेत्र उनके अनुकूल है और वे आसानी से आंध्रप्रदेश-छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की ओर आ-जा सकते हैं.

पुलिस से संपर्क करने पर मार दिया जाता है
इस क्षेत्र में विकास के रास्ते खोलना और लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना प्रशासन के लिए भी लोहे के चने चबाने जैसा है. आगजनी की घटना के बाद से ही इस क्षेत्र में सारे विकास कार्य रुक गये हैं. ग्रामीण भी डरे-सहमे कुछ नहीं बोल पाते. पुलिस प्रशासन से संपर्क करने पर उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है.

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